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रामराज्य

त्रेतायुग में मयार्दापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम द्वारा आदर्श शासन स्थापित किया गया। वह आज भी रामराज्य नाम से राम की तरह ही लोकप्रिय है। यह शासन व्यवस्था सुखी जीवन का आदर्श बन गई। व्यावहारिक जीवन में परिवार, समाज या राज्य में सुख और सुविधाओं से भरी व्यवस्था के लिए आज भी इसी रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है। साधारण रूप से जिस रामराज्य को मात्र सुख-सुविधाओं का पर्याय माना जाता है। असल में वह मात्र सुविधाओं के नजरिए से ही नहीं बल्कि उसमें रहने वाले नागरिकों के पवित्र आचरण, व्यवहार और विचार और मर्यादाओं के पालन के कारण भी श्रेष्ठ शासन व्यवस्था का प्रतीक है। जानते हैं शास्त्रों में बताई रामराज्य से जुड़ी कुछ खास बातें, जो धर्म के पैमाने पर आदर्श और हर काल में अपनाने के लिए श्रेष्ठ हैं, किंतु कलिकाल में हावी अधर्म से या यूं कहें कि आज के भागदौड़ भरे जीवन में धर्म बनी दूरी से हैरान करने वाली भी लगती हैं। जानिए क्या थी रामराज्य की खासियत- गोस्वामी तुलसीदास ने स्वयं रामचरित मानस में कहा है - दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहहिं काहुहि ब्यापा।। - इस चौपाई के मुताबिक राम राज्य में शारीरिक,