Posts

Showing posts from July, 2011

जगतजननी दुर्गा और मधुकैटभ युद्ध

धर्मशास्त्र और मानव सभ्यता का इतिहास उजागर करते हैं कि धर्म रक्षा और अधर्म के नाश के लिये अनेक बड़े युद्ध लड़े गए। राम-रावण हो या महाभारत युद्ध दोनों ने ही जीवन में धर्म, सत्य पालन का जो संदेश दिया, वह युग-युगान्तर से मानव को सुख और सफल जीवन की राह बताता है। वैसे युद्ध युक्तियों, रणनीतियों और अस्त्र-शस्त्र कलाओं के बूते लड़े जाते हैं। किंतु धर्मशास्त्रों में ही अनेक ऐसी कलाओं का वर्णन भी मिलता है, जिनके द्वारा बिना हथियार युद्ध कर शत्रु को पस्त करने का वर्णन मिलता है। शास्त्रों के मुताबिक शरीर, हाव-भाव, व्यवहार से जुड़ी अनेक कलाएं है, जिनकी गणना भी संभव नहीं। किंतु मुख्य रूप से 64 कलाएं प्रसिद्ध है। ऐसी ही कलाओं में से एक कला के उपयोग द्वारा जगत कल्याण के लिए एक युद्ध जीता गया। पुराणों के मुताबिक यह युद्ध जगतजननी दुर्गा और मधुकैटभ के बीच हुआ। जिसमें भगवान विष्णु द्वारा मधुकैटभ दैत्यों से बाहुयुद्ध करने का वर्णन है, जो ऐसी कला का अंग है, जिसे युद्ध या कुश्ती कला के नाम से भी जाना जाता है। शरीर के अंगो की खींचतान और जोड़ों पर प्रहार करना इस कुश्ती कला की खूबी है। इसी कला के एक रुप बाहुय

ये पांच दु:ख हर लेते हैं हनुमान

श्री हनुमान के स्वरूप, चरित्र, आचरण की महिमा ऐसी है कि उनका मात्र नाम ही मनोबल और आत्मविश्वास से भर देता है। रुद्र अवतार होने से हनुमान का स्मरण दु:खों का अंत करने वाला भी माना गया है। श्री हनुमान के ऐसे ही अतुलनीय चरित्र, गुणों और विशेषताओं को श्री राम के परमभक्त गोस्वामी तुलसीदास ने श्री हनुमान चालीसा में उतारा है। श्री हनुमान चालीसा का पाठ हनुमान भक्ति का सबसे श्रेष्ट, सरल उपाय है, बल्कि धर्म की दृष्टि से बताए गए पांच दु:खों का नाश करने वाला भी माना गया है। श्री हनुमान चालीसा की शुरूआत में ही पंक्तियां आती है कि - बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुद्धि, विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। इस दोहे में बल, बुद्धि और विद्या द्वारा क्लेशों को हरने के लिए हनुमान से विनती की गई है। यहां जिन क्लेशों का अंत करने के लिए प्रार्थना की गई है, वह पांच कारण है - अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश। जानते हैं इन पांच दु:खों के अर्थ और व्यावहारिक रूप। अविद्या - विद्या या ज्ञान का अभाव। विद्या व्यक्ति के चरित्र, आचरण और व्यक्तित्व विकास के लिए अहम है। व्यावहारिक रूप से भी किसी विषय

आम की लकड़ी का स्वस्तिक

हिन्दू धर्म व भारतीय संस्कृति में मांगलिक चिन्हों का विशेष महत्व है। स्वस्तिक, ऊं, गणेशजी आदि कुछ ऐसे चिन्ह है। जिन्हें बहुत शुभ व मंगलमय माना गया है। इसीलिए शादी हो या अन्य कोई कार्यक्रम इन सभी चिन्हों को पूजन में जरूर किया जाता है। सभी मांगलिक चिन्हों में से स्वस्तिक सबसे कल्याणकारी चिन्ह है। इस चिन्ह को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। जिन्हें शुभ कार्यो में आम की पत्तियों को आपने लोगों को अक्सर घर के दरवाजे पर बांधते हुए देखा होगा क्योंकि आम की पत्ती ,इसकी लकड़ी ,फल को ज्योतिष की दृष्टी से भी बहुत शुभ माना जाता है। आम की लकड़ी और स्वास्तिक दोनों का संगम आम की लकड़ी का स्वस्तिक उपयोग किया जाए तो इसका बहुत ही शुभ प्रभाव पड़ता है। यदि किसी घर में किसी भी तरह वास्तुदोष हो तो जिस कोण में वास्तु दोष है उसमें आम की लकड़ी से बना स्वास्तिक लगाने से वास्तुदोष में कमी आती है क्योंकि आम की लकड़ी में सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करती है। यदि इसे घर के प्रवेश द्वार पर लगाया जाए तो घर के सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा पूजा के स्थान पर भी इसे लगाये जाने का अपने आप में विशेष प्रभाव बनता ह

पानी में नमक मिलाकर ही सफाई करना चाहिए....

किसी भी घर में वास्तुदोष होने पर उस घर की तरक्की नहीं हो पाती। इसीलिए घर का निर्माण हमेशा वास्तु के अनुरूप ही करवाना चाहिए। लेकिन वास्तु का पूरी तरह से ध्यान रखने के बाद भी कुछ छोटे-छोटे वास्तुदोष घर में रह ही जाते हैं। उन्हें दूर करने के लिए घर में सामुद्रिक नमक रखा जाता है। वास्तु के अनुसार ऐसी मान्यता है कि यदि किसी घर में कई वास्तुदोष हैं और उनका सही उपाय नहीं हो पा रहा है तो बाथरूम में कटोरी साबूत या खड़ा समुद्री नमक रखें। ऐसा करने पर घर की नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रीय हो जाएगी और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। लेकिन नमक में ऐसा क्या है? जिसके कारण घर के वास्तुदोष कम हो जाते हैं। दरअसल वास्तु के अनुसार माना गया है कि नमक में अद्भुत शक्तियां होती हैं। जो अपनी तरफ नकारात्मक ऊर्जाओं को एकत्रित कर उनका अवशोषण करता है। और फिर सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को नष्ट कर देता है। साथ ही नमक से सकारात्मक ऊर्जा निकलती है। जिससे घर का वातावरण में पॉजिटीव ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसके अलावा इससे घर दरिद्रता का भी नाश होता है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसीलिए पानी में नमक म

श्री हनुमान को गुरु बना सीखें

हिन्दू संस्कृति रिश्तों और जीवन मूल्यों के प्रति विश्वास, समर्पण व सम्मान का जज्बा बनाए रखने वाले सूत्रों और महान आदर्शों का खजाना है। इसी खजाने का एक अनमोल सूत्र है - गुरु पूर्णिमा उत्सव। गुरु पूर्णिमा गुरु भक्ति, वंदना और कृपा से जीवन को शांत, सुखी और सफल बनाने के लक्ष्य से बहुत शुभ घड़ी है। गुरु और शिष्य का संबंध तमाम सांसारिक रिश्तों में श्रेष्ठ और ऊपर माना गया है। क्योंकि धर्म, अध्यात्म हो या व्यावहारिक जीवन किसी भी क्षेत्र में गुरु की ज्ञान व शक्ति की ऊर्जा व रोशनी शिष्य के चरित्र, व्यक्तित्व और व्यवहार को उजला बनाकर जीवन के तमाम दोष, दुर्गण और विकार रूपी अंधकार का नाश करती है। भौतिक सुखों से भरे आज के माहौल में अनेक लोग अंदर और बाहरी द्वंद्व या संघर्ष से आहत हो सुख की राह पाने के लिये जूझते हैं। ऐसी मानसिक और व्यावहारिक मुश्किलों में एक श्रेष्ठ गुरु मिलना कठिन हो जाता है। अगर आप भी संकटमोचक गुरु की आस रखते हैं तो गुरु पूर्णिमा की शुभ घड़ी में यहां बताए जा रहे सूत्र से आप एक श्रेष्ठ गुरु पा सकते हैं। यह अनमोल सूत्र है - संकटमोचक हनुमान को इष्ट बनाकर गुरु के समान सेवा, भक्ति। पूर

झाड़ू को ऐसी जगह रखें जहां किसी की नजर ना पड़े.....

झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। सही समय पर झाड़ू लगाना शगुन व गलत समय पर झाड़ू लगाना अपशगुन माना जाता है। दरअसल इसका कारण यह है कि हमारे यहां झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है।जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है। ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है। जब घर में झाड़ू का कार्य न हो तब उसे ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां किसी की नजर न पड़े। वास्तु के अनुसार भी ऐसी मान्यता है कि यदि झाड़ू बाहर दिखाई देती है तो घर में कलह होता है। साथ ही माना जाता है कि झाड़ू का पैर लगने से उसका अपमान होता है। इसीलिए झाड़ू को हमेशा छुपाकर रखना चाहिए जहां किसी की नजर एकदम ना पड़े क्योंकि मान्यता है कि

कुछ देर क्यों बैठना चाहिए मंदिर से लौटने के पहले?

माना जाता है कि मंदिरों में ईश्वर साक्षात् रूप में विराजित होते हैं। किसी भी मंदिर में भगवान के होने की अनुभूति प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रतिमा या उनके चित्र को देखकर हमारा मन शांत हो जाता है और हमें सुख प्राप्त होता है।हम इस मनोभाव से भगवान की शरण में जाते हैं कि हमारी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी, जो बातें हम दुनिया से छिपाते हैं वो भगवान के आगे बता देते हैं, इससे भी मन को शांति मिलती है, बेचैनी खत्म होती है दूसरा कारण है वास्तु, मंदिरों का निर्माण वास्तु को ध्यान में रखकर किया जाता है।हर एक चीज वास्तु के अनुरूप ही बनाई जाती है, इसलिए वहां सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा मात्रा में होती है। तीसरा कारण है वहां जो भी लोग जाते हैं वे सकारात्मक और विश्वास भरे भावों से जाते हैं सो वहां सकारात्मक ऊर्जा ही अधिक मात्रा में होती है। चौथा कारण है मंदिर में होने वाले नाद यानी शंख और घंटियों की आवाजें, ये आवाजें वातावरण को शुद्ध करती हैं। पांचवां कारण है वहां लगाए जाने वाले धूप-बत्ती जिनकी सुगंध वातावरण को शुद्ध बनाती है। इस तरह मंदिर में लगभग सभी ऐसी चीजें होती हैं जो वातावरण की सकारात्मक ऊर्जा

भगवान सपने में आकर देंगे सवालों के जवाब

इंसान के जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब वह किसी बात को लेकर सही निर्णय पर नहीं पहुंच पाता। उसे यह समझ ही नहीं आता कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत। ऐसे में सिर्फ भगवान ही है जो उसे सही मार्ग दिखा सकते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में कई चमत्कारी मंत्रों का वर्णन है। उसी में से एक मंत्र ऐसा भी है जिसके माध्यम से भगवान स्वयं सपने में आकर आपका मार्गदर्शन करते हैं। यह मंत्र श्रीमद्भागवत गीता से लिया गया है। मंत्र ऊँ क्लीं कार्पण्यदोषोपहतस्वभाव: पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेता:। यच्छ्रेय: स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम।। (श्रीमद्भागवत गीता- 2/७) जप विधि - आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक प्रतिदिन सुबह इस मंत्र की एक माला का जप करें। - मंत्र जप कुश के आसन पर बैठकर, पूर्व दिशा की ओर मुख व तुलसी की माला से करें। - मंत्र जप से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अवश्य करें। - इस प्रकार यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। - जब आप किसी बात को लेकर निर्णय न ले पा रहें हो तो रात में इस मंत्र की एक माला जप करके सो जाएं। रात्रि में भगवान स्वयं सपने में आकर आपका मार्गदर्श