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Showing posts from September, 2011

जल्दी खुश हो जाते हैं हनुमानजी

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आधुनिक युग में सुख-समृद्धि और सुविधाओं की जितनी वस्तुएं बढ़ रही हैं उतनी ही बढ़ रही हैं हमारी समस्याएं। सभी सुविधाओं को जुटाने में इंसान दिन-रात कई प्रकार के प्रयास में लगा हुआ है। काफी कम लोगों को यह सभी सुविधाएं हासिल हो पाती हैं लेकिन जिन लोगों को यह सब नहीं मिल पाता उन्हें निराशा का सामना करना पड़ता है। इस निराशा के साथ जीवन और अधिक बुरा दिखाई देने लगता है। इन सभी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने के बाद ही जीवन को खुशियों के साथ जिया जा सकता है। इसके लिए हनुमानजी की भक्ति सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। कलयुग हो या सतयुग बजरंग बली ने हर युग में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण की हैं। आज भी इन्हें जल्दी ही प्रसन्न होने वाले देवताओं में श्रेणी में माना जाता है। इनकी भक्ति से तुरंत ही शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं। यदि सच्चे हृदय से प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो कुछ ही दिनों में आप आश्चर्यजनक फल प्राप्त करने लगेंगे। बस ध्यान रखें कि आपसे किसी का अहित न हो और आप सभी अधार्मिक कृत्यों से खुद को दूर रखें। हनुमानजी की भक्ति में शरीर और मन की पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए अन्यथा भक

Visiting Mathura

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Visiting Mathura ideal time is between October till February, you can travel easily travel by road, public transport or by railways. While travelling by your own conveyance in Mathura interiors take public transport like, rikshaw, auto etc. avoid travelling by your own conveyance in the city since you might get stuck in heavy traffic & congested roads. Roads may not be in a great condition since it is always advisable to travel by public transport, you may get up a economical hotel or a guest house in the city, but beware of the thugs, do some research, try out traditional food out there like, jalebi, kachori, lassi, thali, and lots of varieties of sweets, apart from pera, since people of mathura are big time foody. You may get lot of options in the market while visiting dwarikadish temple, near holi gate. Do take care of your belongings since at a religious place it is obvious to have few unwanted elements, & never ever give donations directly to priests, if you want you sho

लक्ष्मी के ये 8 स्वरूप

ईश भक्ति सुख-समृद्धि, वैभव, धन और ऐश्वर्य देने वाली है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि मात्र ईश्वर भक्ति के लिए किए जाने वाले धार्मिक कर्मों से ही ऐसी सुख-संपन्नता प्राप्त हो जाती है? नहीं, बल्कि यह सब पाने के लिए व्यावहारिक जीवन में कर्म, विचार और स्वभाव में पावनता बहुत जरूरी है। शास्त्र भी कहते हैं कि देवी लक्ष्मी भी वहीं वास करती है, जहां पवित्रता और सत्य का पालन होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो देवी लक्ष्मी धन ही नहीं जीवन में गुण, आचरण, संस्कार लाकर समृद्ध बनाती है। यही कारण है कि देवी लक्ष्मी भी शक्ति स्वरूपा होकर ऐश्वर्य और गुण की देवी के रूप में पूजनीय है। शास्त्रों के मुताबिक स्वभाव और आचरण को पवित्र बनाने के साथ व्यावहारिक जीवन के अनेक सुखों को देने वाली महालक्ष्मी के 8 स्वरूप हैं, जो अष्टलक्ष्मी के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि में अष्टलक्ष्मी स्मरण या उपासना आयु, स्वास्थ्य, संतान, संपत्ति, धन, अन्न, सद्गुण, समृद्धि, सफलता देने वाली मानी गई है। जानें महालक्ष्मी के ये 8 स्वरूप- महालक्ष्मी चार भुजाधारी महालक्ष्मी का अलंकारों से सजा यह दिव्य रूप है। जिनके चार हाथों में कमल

क्रोध

क्रोध इस दुनिया में अगर आग से भी तेज कुछ है तो वो है क्रोध। गुस्सा हमें नहीं, हमारे व्यक्तित्व को जलाता है। एक क्षण के आवेग में आदमी वो कर जाता है, जिसके बाद सिर्फ पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता। क्रोध एक क्षण में हावी होता है और दूसरे पल ही खत्म भी हो जाता है लेकिन कभी-कभी क्षणभर का गुस्सा भी सारी जिंदगी पर भारी पड़ जाता है। आज के दौर में युवाओं के व्यक्तित्व में जो सबसे बड़ी कमी देखी जा रही है वो है सहनशीलता की। कोई भी जरा सा अपमान, थोड़ी सी असफलता, क्षणिक विपरीत परिस्थितियों से ही अपना आपा खो देता है। कई तो जान तक ले या दे देते हैं। आखिर ऐसा क्या किया जाए कि अपने व्यवहार और व्यक्तित्व में सहनशीलता और गंभीरता आ जाए। निजी जीवन में व्यक्ति कई मामलों में अपनेआप से ही लड़ता दिखाई देता है। हमारे भीतर ही एक युद्ध चल रहा है। कुछ बुराइयां हैं जिन्हेंं हम लाख दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन समय-असमय वे भीतर ही भीतर अपना सिर उठा ही लेती हैं। आइए इसके समाधान पर चलते हैं। दरअसल ये हमारे व्यक्तित्व की कमजोरी और समझ की कमी के कारण हो रहा है। आज हम दुनियाभर से संपर्क में हैं, सोशल नेटवर्किंग

आंखों का ध्यान

कम्प्यूटर वर्किंग के दौरान जो लोग अपनी आंखों का ध्यान नहीं रखते उन्हें बहुत जल्द चश्मा लग जाता है और जिन लोगों को चश्मा लगा होता है उनके नंबर बढ़ जाते हैं या आंखों संबंधी और कई अन्य समस्याएं उन्हें घेर लेती हैं। ऐसे में आंखों की सुरक्षा के लिए सभी को सावधानी बरतनी चाहिए। यहां हम कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनसे आपकी आंखों की रोशनी तेज रहेगी और आंखे थकेगी नहीं। - सबसे पहले यह ध्यान रखें कि लगातार स्क्रीन की ओर ना देखे। ज्यादा से ज्यादा 10 मिनिट में कुछ क्षण के लिए आंखें स्क्रीन से हटा लें। - हर दस मिनिट में कुछ पल आंखों को बंद रखें। - दिन में कम से कम 5-10 बार आंखों को ठंडे साफ पानी से अवश्य धोएं। - हर दस मिनिट में स्क्रीन से नजर हटाकर दस फीट दूर तक दस सेकंड तक देखें। - प्रतिदिन सुबह आंखों की एक्सरसाइज करें। - प्रतिदिन सुबह आंखें बंद करके ध्यान लगाएं। - हरी पत्तेवाली सब्जियां अधिक से अधिक खाएं। - प्रतिदिन सुबह नंगे पैर घास पर चलें इससे आपकी आंखों की रोशनी बहुत तेज होगी। - स्क्रीन और आंखों के मध्य कम से कम दो ट की दूरी अवश्य रखें। स्क्रीन आंखों से एकदम करीब भी ना हो

कोलेस्ट्रोल कम करने के कुछ घरेलू नुस्खे

कोलेस्ट्रोल, एक ऐसी समस्या है जो अब आम बनती जा रही है। कोलेस्ट्रोल कम करने का अर्थ है हृदय रोग का सही उपचार। आईये, कोलेस्ट्रोल को कम करने के कुछ घरेलू नुस्खो पर एक नजर डालते है। - कच्ची लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है। - रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से खून में कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है। - अंकुरित दालें भी खानी आरंभ करें। - सोयाबीन का तेल अवश्य प्रयोग करें यह भी उपचार है। - लहसुन, प्याज, इसके रस उपयोगी हैं। - नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे, प्रतिदिन लें। - शराब या कोई नशा मत करें, बचें। - इसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार। - दूध पीते हैं तो उसमे जरा सी दालचीनी) डाल दो, कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल होगा। - रात के समय धनिया के दो चम्मच एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं। - 30 पत्ते तुलसी के, उसका रस निकाल दिया, नहीं तो 30 पत्ते तुलसी के और 1 नींबू निचोड़ लिया। तुलसी के पत्तों का रस मिले ऐसे चबाते गए और नींबू का पानी (1गिलास) पीते गए।

श्रीगणेश

सभी चाहते हैं कि उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इसके लिए वे कई प्रकार के उपाय भी अपनाते हैं। इन उपायों में धर्म, ज्योतिष और वास्तु से जुड़ी बातें भी शामिल होती हैं। घर में समृद्धि बनाए रखने के लिए सामान्यत: सभी के दरवाजों पर श्रीगणेश या उनका प्रतीक चिन्ह अवश्य होता है। गणेशजी के साथ ही स्वस्तिक और ऊँ बनाने से निश्चित ही सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। घर के मुख्य द्वार या दरवाजे पर गणेश की चित्र या प्रतिमा लगाना शुभ माना जाता है। प्रथम पूज्य गणेश के नाम के साथ ही हर शुभ कार्य का शुभारंभ होता है। अत: मुख्य दरवाजे पर गणेशजी का होना घर-परिवार के लिए शुभ फल देने वाला होता है। वास्तु के अनुसार गणेशजी को दरवाजे के बीच में ऊपर की ओर लगाना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिदिन दरवाजे पर गणेशजी को सिंदूर चढ़ाएं और गणेशजी के दाएं ओर स्वस्तिक तथा बाएं ओर ऊँ का चिन्ह बनाएं। ऐसा करने पर बहुत जल्द आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। आपके परिवार में सभी सदस्यों को सफलाएं मिलेगी। रुके हुए कार्य समय पर पूर्ण होने लगेंगे। आपके भाग्योदय में आ रही बाधाएं हटने लगेंगी।