क्रोध
क्रोध
इस दुनिया में अगर आग से भी तेज कुछ है तो वो है क्रोध। गुस्सा हमें नहीं, हमारे व्यक्तित्व को जलाता है। एक क्षण के आवेग में आदमी वो कर जाता है, जिसके बाद सिर्फ पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचता। क्रोध एक क्षण में हावी होता है और दूसरे पल ही खत्म भी हो जाता है लेकिन कभी-कभी क्षणभर का गुस्सा भी सारी जिंदगी पर भारी पड़ जाता है।
आज के दौर में युवाओं के व्यक्तित्व में जो सबसे बड़ी कमी देखी जा रही है वो है सहनशीलता की। कोई भी जरा सा अपमान, थोड़ी सी असफलता, क्षणिक विपरीत परिस्थितियों से ही अपना आपा खो देता है। कई तो जान तक ले या दे देते हैं।
आखिर ऐसा क्या किया जाए कि अपने व्यवहार और व्यक्तित्व में सहनशीलता और गंभीरता आ जाए। निजी जीवन में व्यक्ति कई मामलों में अपनेआप से ही लड़ता दिखाई देता है। हमारे भीतर ही एक युद्ध चल रहा है। कुछ बुराइयां हैं जिन्हेंं हम लाख दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन समय-असमय वे भीतर ही भीतर अपना सिर उठा ही लेती हैं।
आइए इसके समाधान पर चलते हैं। दरअसल ये हमारे व्यक्तित्व की कमजोरी और समझ की कमी के कारण हो रहा है। आज हम दुनियाभर से संपर्क में हैं, सोशल नेटवर्किंग पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं। हर एक मित्र से हर पल पूरे संपर्क में हैं लेकिन एक खास व्यक्तित्व जिसके पास भी हमें थोड़ी देर बैठना चाहिए, उसी के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। वो व्यक्तित्व है आप खुद। हम अपने ही पास रहना भूल जाते हैं। खुद के लिए थोड़ा भी समय नहीं है।
हमारे सारे पौराणिक पात्रों ने खुद के व्यक्तित्व पर खूब ध्यान दिया है। इसी कारण वे महान हुए। भगवान कृष्ण की दिनचर्या में चलते हैं। भगवान सुबह ब्रह्म मूहुर्त में जागते हैं। सुबह उठते ही वे सीधे बिस्तर से नहीं उतरते, बल्कि वहीं सुखासन लगाकर थोड़ी देर ध्यान करते। भगवान कहते हैं नींद से जागा इंसान अपने आप में नहीं होता, वो दूसरी ही दुनिया में होता है। नींद से जागते ही थोड़ी देर ध्यान लगाइए।
आप खुद में स्थिर होंगे। इससे व्यक्तित्व में गंभीरता आएगी, आप खुद के नियंत्रण में होंगे। इसी समय अपने पूरे दिन की प्लानिंग भी कर लें। आज क्या-क्या करना है। फिर स्नान के बाद भगवान संध्या पूजन करते हैं। ये परमशक्ति से जुडऩे का साधन है। ये आपको आत्म विश्वास भी देगा और आपके व्यक्तित्व में सौम्यता भी लाएगा। इससे आप अपने भीतर के क्रोध को नियंत्रित कर सकेंगे।
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