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Showing posts from February, 2012

लट्ठमार होली

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‎'Lath mar Holi (Hindi: लट्ठमार होली) takes place well before the actual Holi celebration. It takes place at Barsana near Mathura in the state of Uttar Pradesh. People flock to the suburban town of Barsana near Mathura to see Lath Mar Holi, a special form of traditional festivity. Legend has it that Lord Krishna visited his beloved Radha's village on this day and playfully teased her and her friends. Taking offence at this, the women of Barsana chased him away. Since then, men from Krishna's village, Nandgaon, visit Barsana to play Holi in the town which has the distinction of having the only temple dedicated to Radha in India. In the sprawling compound of the Radha Rani temple in Barsana, thousands gather to witness the Lath Mar holi when women beat up men with sticks as those on the sidelines become hysterical, sing Holi Songs and shout Sri Radhey or Sri Krishna. The Holi songs of Braj mandal are sung in pure Braj Bhasha. आय जइयो शयाम बरसाने गाम , तोय रंग में खूब नहवाय द

वास्तु

जिस घर का वास्तु सही होता हैं वहां शांति और समृद्धि का स्थाई निवास होता है। - वास्तु के अनुसार पौधे लगाने से घर सकारात्मक उर्जा से भर जाता है। हरियाली आंखों को शांति देती है। घर में भी यदि वास्तु के अनुसार पौधे लगाए जाएं तो घर में शांति के साथ ही सुख, समृद्धि भी बढऩे लगती है। - झाड़ू घर में किसी ऐसे कोने में रखें जो एकदम दिखाई ना दें। - घर में कोई भी बंद घड़ी ना लगी रहे। जो घड़ी काम ना कर रही हो उसे घर में ना रखें। - मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए चंदन आदि से बनी अगरबत्ती जलाएं। इससे मानसिक बेचैनी कम होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि बढऩे लगेगी। - घर के डस्टबीन में ज्यादा कचरा इकठ्ठा ना होने दें। - कभी भी किचन के सिंक में ज्यादा समय के लिए गंदे बर्तन ना रखें क्योंकि इससे घर में अलक्ष्मी का निवास होता है साथ ही घर के सदस्यों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है। - नुकीले औजार जैसे- कैंची, चाकू आदि कभी भी इस प्रकार नहीं रखे जाने चाहिए कि उनका नुकीला बाहर की ओर हो। - हर रोज कम से कम पच्चीस मिनट के लिए खिड़की जरुर खोलें, इससे कमरे से रात की उर्जा बाहर निकल जाएगी और साथ ही सूर

लहसुन

माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं। यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन चिकना, गरम, तीखा, कटु, भारी, कब्ज को तोडऩे वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग- - लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर मट्ठे में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा तोला चूर्ण रोज फांकना चाहिए। - लहसुन की चटनी तथा लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए। - लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें।

प्याज: इसके अनेकों फायदे

प्याज को शास्त्रों में तामसिक भोजन माना गया है। लेकिन हम आयुर्वेद व चिकित्सा शास्त्र की माने तो प्याज के सेवन का एक नुकसान सही पर इसके अनेकों फायदे हैं। प्याज के सेवन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स का खतरा कम हो जाता है। रोज प्याज का सेवन करने से शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ाने में मदद मिलती है। प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी बहुत जल्दी दूर होती है। यदि गठिया का दर्द सताए तो प्याज के रस की मालिश करें। उच्च रक्तचाप के रोगियों को कच्चे प्याज का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह ब्लडप्रेशर कम करता है। उल्टियां हो रही हों या जी मिचला रहा हो, तो प्याज के टुकड़े में नमक लगाकर खाने से राहत मिलती है। जिन्हें मानसिक तनाव बना रहता हो, उन्हें प्याज का सेवन करना चाहिए, क्योंकि प्याज में मौजूद एक विशेष रसायन मानसिक तनाव कम करने में सहायक है। प्याज के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है। प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें। सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रो

एक फायदेमंद औषधि: हल्दी

आयुर्वेद में हल्दी को कई रोगों की एक रामबाण दवा माना गया है। हल्दी रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर डायबिटीज के रोगियों के लिए हल्दी का उपयोग संजीवनी की तरह काम करता है। आयुर्वेद में यह माना गया है कि हल्दी से मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की गर्भवती महिला ही क्यों न हो। हल्दी में प्रोटीन,वसा खनिज पदार्थ एरेशा, फाइबर, मैंगनीज, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम,फास्फोरस, लोहा, ओमेगा, विटामिन ए, बी, सी के स्रोत तथा कैलोरी भी पाई जाती है। माना जाता है कि मधुमेह की रोकथाम के लिए हल्दी सबसे अच्छा इलाज है। रोज आधा चम्मच हल्दी लेकर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। - मधुमेह के रोगियों को रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।- मधुमेह में आंवले के रस में हल्दी व शहद मिलाकर सेवन करने से भी मधुमेह रोगी को फायदा मिलता है। - मधुमेह के रोगी 2 ग्राम हल्दी, 2 ग्राम जामुन की गुठली

लहसुन के कुछ खास गुण

आयुर्वेद में कहा गया है कि लहसुन के नियमित इस्तेमाल से आप बढ़ती उम्र में भी युवापन का एहसास कर सकते हैं। लहसुन को जोड़ों के दर्द की अचूक दवा माना गया है। लहसुन सिर्फ स्वाद बढ़ाने का साधन ही नहीं है बल्कि इसमें ऐसी कई खूबियां होती हैं जो इसे बेजोड़ और बहुत कीमती बनाती हैं। आइए जाने लहसुन के कुछ खास गुण... - 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें। इस गुनगुने गर्म तेल की मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है। - लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

चंद्रशेखर

शिव को चंद्रशेखर भी पुकारा जाता है। यह नाम शिव के अद्भुत स्वरूप के दर्शन कराता है। इस नाम का अर्थ है मस्तक पर चंद्र को धारण करने वाले। असल में इस अर्थ के पीछे भी सांकेतिक संदेश है कि बुद्धि और विचारों के केन्द्र मस्तिष्क को बुरे भावों के ताप से दूर रखा जाए और उसमें सद्भाव रूपी शीतलता को स्थान देकर जीवन में शांति और सुख को पाया जाए। दूसरी ओर शास्त्रों में चंद्र को भी मन के नियंत्रक देवता भी माना गया है। सोमवार का दिन चंद्र दोष करने के लिए भी श्रेष्ठ होता है। चूंकि शिव के मस्तक पर विराजित होने से शिव पूजा चंद्र दोष को भी दूर करने वाली होती है। यही कारण है कि इस बार बने महाशिवरात्रि-सोमवार के शुभ संयोग में शिव का ध्यान सभी मानसिक संताप, शारीरिक रोगों, आर्थिक परेशानियों और बाधाओं को दूर करने वाली मानी गई है। इस शुभ अवसर में पुण्य लाभ कमाने के लिए ही यहां बताया जा रहा सरल शिव मंत्र और शिव उपासना का आसान उपाय, जिसे दौडते-भागते जीवन में थोड़ा सा वक्त निकालकर सरलता से अपनाया जा सकता है। - प्रात: स्नान कर नजदीक स्थित शिव मंदिर या घर के देवालय में शिवलिंग पर गंगाजल, दूध चढ़ाकर गंध, अक्ष

नारियल: बहुत फायदेमंद है

इसमें मौजूद पोषक तत्वों और फायदे के बारे में..थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली में 20 फीसदी सुधार करने में नारियल बहुत लाभकारी साबित होता है। वहीं, इससे मेटाबॉलिज्म भी दुरुस्त रहता है। मेटाबॉलिज्म की गति धीमी होने के कारण ही वजन बढ़ने जैसी समस्याएं भी होती हैं। इसकी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल प्रॉपर्टी पेट साफ करने में कारगर है। वहीं, इससे बाहरी संक्रमणों से लड़ने के लिए शारीरिक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है। नारियल में लॉरिक एसिड काफी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो सैचुरेटेड फैट का ही एक प्रकार है। लॉरिक एसिड को शरीर बड़ी आसानी से अवशोषित कर लेता है, जिसका इस्तेमाल आवश्यकता पड़ने पर एनर्जी के तौर पर किया जाता है। इससे हृदय रोगों की आशंका भी काफी कम हो सकती है, क्योंकि यह एलडीएल यानी बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में सहायक है। वहीं, नारियल पानी को भी हल्के में न लें। ये कम गुणकारी नहीं है। इसके सेवन से त्वचा हाइड्रेट रहती है और उसका रूखापन दूर होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह त्वचा को नया जीवन दे सकता है। वहीं, इसका सेवन करने से व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है। नार

मोती शंख

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास कभी पैसा टिकता नहीं है। वे कितना भी कोशिश कर लें मगर पैसा आते ही चला जाता है। ऐसे लोगों के घरों में बरकत भी नहीं होती तथा वे हमेशा पैसों की तंगी में ही जीते हैं। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो इसका निदान मोती शंख से संभव है। मोती शंख का सही विधि- विधान से पूजन कर यदि तिजोरी में रखा जाए तो घर, कार्यस्थल, व्यापार स्थल और भंडार में पैसा टिकने लगता है। आमदनी बढऩे लगती है। मोती शंख का प्रयोग इस प्रकार करें- प्रयोग- किसी बुधवार को सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने सामने इस शंख को रखें और उस पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बना दें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें- श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: - मंत्र का जप स्फटिक माला से ही करें। - मंत्रोच्चार के साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें। - इस बात का ध्यान रखें की चावल टूटे हुए ना हो। इस प्रयोग लगातार ग्यारह दिनों तक करें। - इस प्रकार रोज एक माला का जप करें। उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में रखें और ग्यारह दिनों के बाद चावल के साथ शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें। आप देखेंगे कि कुछ

अर्द्ध नारीश्वर स्वरूप का रहस्य

भगवान शंकर ने जगत कल्याण के लिए कई अवतार लिए। उन्हीं में से एक अवतार है अर्द्ध नारीश्वर का। इस अवतार में भगवान शंकर का आधा शरीर स्त्री का तथा आधा पुरुष का है। भगवान के इस रूप के पीछे वैज्ञानिक कारण भी निहित है। जीव विज्ञान के अनुसार मनुष्य में 46 गुणसूत्र पाए जाते हैं। गर्भाधान के समय पुरुष के आधे क्रोमोजोम्स(23) तथा स्त्री के आधे क्रोमोजोम्स(23) मिलकर संतान की उत्पत्ति करते हैं। इन 23-23 क्रोमोजोम्स के मिलन से ही संतान उत्पन्न होती है। अर्थात मनुष्य के शरीर में आधा हिस्सा पुरुष(पिता) तथा आधा स्त्री(माता) का होता है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य स्त्री के बिना पूर्ण नहीं माना जाता क्योंकि वह उसका आधा अंग है। अकेला पुरुष अधूरा है, स्त्री यानी पत्नी के बिना वह संपूर्ण नहीं हो सकता। इसी कारण स्त्री को अर्द्धांगी कहा जाता है। यही शिव के अर्द्ध नारीश्वर स्वरूप का मूल सार है।

शिव का मृत्यंञ्जय स्वरुप

शिव को अविनाशी भी पुकारा जाता है। यह शब्द और भाव ही शिव की अनंत शक्तियों, मंगलमयी रूप व नाम की महिमा प्रकट करता है। जब शिव ने विषपान किया तो नीलकंठ बने, गंगा को सिर पर धारण किया तो गंगाधर। वहीं भूतों के स्वामी होने से भूतभावन भी कहलाते हैं। इसी कड़ी में शिव का एक अद्भुत स्वरूप हैं - मृत्युंजय। माना गया है कि इस शिव स्वरूप की दिव्य शक्तियों के आगे काल भी पराजित हो जाता है। मृत्यु्ञ्जय का मतलब भी होता है - मृत्यु को जीतने वाला। काल के अलावा यह शिव शक्ति सभी सांसारिक पीड़ा व भय को हर लेती है। कैसा है मृत्यंञ्जय स्वरूप? शास्त्रों के मुताबिक शिव का मृत्यंञ्जय स्वरुप अष्टभुजाधारी है। सिर पर बालचन्द्र धारण किए हुए हैं। कमल पर विराजित हैं। ऊपर के हाथों से स्वयं पर अमृत कलश से अमृत धारा अर्पित कर रहें हैं। बीच के दो हाथों में रुद्राक्ष माला व मृगमुद्रा। नीचे के हाथों में अमृत कलश थामें हैं। कैसे मृत्युञ्जय के आगे काल भी हो जाता है पस्त ? महामृत्युञ्जय के काल को पराजित करने के पीछे शास्त्रों के मुताबिक दर्शन यह भी है कि असल में यह स्वरुप आनंद, विज्ञान, मन, प्राण व वाक यानी शब्द, वाणी, बो

शिव पंचाक्षर स्त्रोत शिव पंचाक्षर स्त्रोत

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भगवान शिव ही सृष्टि के रचयिता है और संहारकर्ता भी। शिव एकमात्र ऐसे देवता है जो किसी महल में निवास नहीं करते बल्कि शमशान में धुनी रमाते हैं। भगवान शिव पर जिस पर कृपा करते हैं उनका उद्धार हो जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई स्तुतियों की रचना की गई । उन सभी में शिव पंचाक्षर स्त्रोत का स्थान बहुत ऊंचा है। यदि इसका प्रतिदिन जप किया जाए तो भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं व हर सुख प्रदान करते हैं। शिव पंचाक्षर स्त्रोत- 'नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥ मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥ शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥ वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:॥ यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:॥ पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ शिवलोकं वाप्नोति शि

यह हनुमान मंत्र करेगा हर कष्ट दूर

कलयुग में सबसे अधिक हनुमानजी की पूजा की जाती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी ही कलयुग में जीवंत देवता है जो अपने भक्तों का हर कष्ट दूर करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। यदि आपकी भी कोई मनोकामना है तो नीचे लिखे हनुमान मंत्र का जप विधि-विधान से करने पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी। मंत्र इस प्रकार है- मंत्र महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।। जप विधि - प्रति मंगलवार सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। - इसके बाद हनुमानजी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर तथा गुड़-चना चढ़ाएं। - इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश का आसन ग्रहण करें। - तत्पश्चात लाल चंदन की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जप करें। - इस मंत्र का प्रभाव आपको कुछ ही समय में दिखने लगेगा।

पेट की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी

अगर आप गैस, एसीडिटी या पेट से जुड़ी अन्य किसी समस्या से परेशान हैं? पाचनतंत्र से जुड़ी इन समस्याओं के कारण आपको पेट का दर्द आए दिन परेशान करता रहता है तो नीचे लिखी विधि से बताया गया योगासन दस मिनट करें। पेट से जुड़ी सारी समस्याएं अपने आप दूर हो जाएंगी। वज्रासन के अतिरिक्त अन्य सभी योगासन खाने के पूर्व ही किए जाते हैं वज्रासन ही एक मात्र ऐसा आसन हैं जो खाने के बाद किया जाता है। वज्रासन हमारा पाचन तंत्र व्यवस्थित रखता है। इसी लिए प्रतिदिन खाने के बाद कुछ समय वज्रासन अवश्य करें। वज्रासन करने की विधि खाने के कुछ पश्चात समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर घुटनों को मोड़कर इस तरह से बैठें कि नितंब दोनों एडिय़ों के बीच में आ जाएं, दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिले रहें और एडिय़ों में अंतर भी बना रहे। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। पीछे की ओर न झुकें और शरीर को सीधा रखें। हाथों और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें और कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लें। अपना ध्यान सांस की तरफ बनाए रखें। धीरे-धीरे आपका मन भी शांत हो जाएगा। इस आसन में पाँच मिनट तक बैठना चाहिए। वज्रासन के लिए सावधानियां वज्

साईं बाबा के ये 11 वचन

धार्मिक आस्था है कि परब्रह्म अवतार, जगतगुरु, ज्ञान व तप के साक्षात स्वरूप साईं बाबा की शरण जीवन की सारी बुरी वृत्तियो, प्रवृत्तियों व संताप से छुटकारा दिलाने वाली मानी जाती है। ऐसी साईं कृपा सभी सांसारिक कामनाओं, लक्ष्यों को साधने वाली मानी गई है। गुरुवार का दिन साईं बाबा की भक्ति का शुभ दिन माना जाता है। यह दिन खासतौर पर साईं के दरबार यानी शिरडी या किसी भी साईं मंदिर में जाकर साईं की भक्त वत्सलता से भरे यानी भक्तों के लिए स्नेह व अपार कृपा बरसाने वाले वचनों का याद कर मत्था टेकना तमाम दु:ख-दर्द का दूर करने वाले माने गए हैं। जानिए, ये 11 साईं के वचन जो भक्त के आत्म विश्वास व मनोबल को बढ़ाने वाले माने जाते हैं - - जो शिरडी आएगा, आपद दूर भगाएगा। - मन में रखना पूरा विश्वास, करे समाधी पूरी आस। - चढे समाधी की सीढ़ी पर। पैर तले दु:ख की पीढ़ी पर। - जैसा भाव रहा जिस मन का। वैसा रूप हुआ मेरे मन का। - मेरी शरण आ खाली जाए। हो कोई तो मुझे बताए। - त्याग शरीर चला जाऊंगा। भक्त हेतु दौड़ा जाऊंगा। - भार तुम्हारा मुझ पर होगा। वचन न मेरा झूठा होगा। - मुझे सदा जीवित ही जानो। अनुभव करो स

हनुमान पूजा फटाफट देगी मनचाही सफलता

मन, शरीर और विचारों के साथ जीवन और कार्य के प्रति सत्य व समर्पण की भावना मजबूत बनाने के लिये शनिवार, मंगलवार, पूर्णिमा या हनुमान जन्मोत्सव के शुभ अवसरों पर हनुमान उपासना बहुत शुभ फल देने वाली मानी गई है। अगर आप भी सफलता और सुख की हर चाहत को पूरा करना चाहते हैं, तो हर कलह व दोषों को दूर करने के लिये यहां बताया जा रहा हनुमान उपासना का सरल उपाय विशेष मंत्र बोलते हुए करें - - श्री हनुमान की पूजा तन, मन, वचन में पूरी पवित्रता के साथ घर या देवालय में करें। - श्री हनुमान की पूजा में कुमकुम, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र और लाल लंगोट के साथ ही विशेष रूप से सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाने का महत्व है। - श्री हनुमान की ऐसी प्रतिमा जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ा हो, पर पवित्र जल से स्नान कराएं। इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण कर इस विशेष मंत्र से थोड़ा सा चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा तेल लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें - सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये। भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।। - हनुमान चालीसा पाठ करें या सुनें। इसके बाद गुग

कृष्ण के कुछ ऐसे नाम और उनके अर्थ

व्यासजी ने धृतराष्ट्र से कहा तुम मेरी बात सुनो। तुम श्रीकृष्ण के प्यारे हो। तुम्हारा संजय जैसा दूत है। जो तुम्हे कल्याण के मार्ग पर ले जाएगा। यदि तुम संजय की बात सुनोगे तो यह तुम्हे जन्म-मरण सबके भय से मुक्ति दिलवाएगा। तुम्हे क ल्याण और स्वर्ग के मार्ग पर ले जाएगा। जो लोग कामनाओं में अंधे के समान अपने कर्मों के अनुसार बार-बार मृत्यु के मुख में जाते हैं। तब धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा- तुम मुझे कोई निर्भय मार्ग बताओ, जिससे चलकर मैं श्रीकृष्ण को पा सकूं और मुझे परमपद पाप्त हो जाए। संजय ने कहा-अजितेन्द्रिय भगवान को प्राप्त करने के लिए इंद्रियों पर जीत जरूरी है। इन्द्रियों पर निश्चल रूप से काबू रखना इसी को विद्वान लोग ज्ञान कहते हैं। धृतराष्ट्र ने कहा- संजय तुम एक बार फिर श्रीकृष्णचंद्र के स्वरूप वर्णन करो, जिससे कि उनके नाम और कर्मों का रहस्य जानकर मैं उन्हें प्राप्त कर सकूं। संजय ने कहा- मैंने श्रीकृष्ण के कुछ नामों की व्युत्पति सुनी है। उसमें से जितना मुझे स्मरण है। वह सुनाता हूं। श्रीकृष्ण तो वास्तव में किसी प्रमाण के विषय नहीं है। समस्त प्राणियों को अपनी माया से आवृत किए रहने और देवताओ

राम का नाम

हर इंसान के जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। यदि आप भी किसी संकट में हैं तो प्रतिदिन राम स्त्रोत का पाठ विधि-विधान से करें। इस तरह भगवान राम का ध्यान करने से हर संकट दूर हो जाता है और भक्त की हर मनोकामना भी पूरी होती है। राम स्तोत्र राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।। जप विधि - सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर प्रभु श्रीराम का पूजन करें। - भगवान राम की मूर्ति के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस स्त्रोत का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है। - आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। - एक ही समय, आसन व माला हो तो यह स्तोत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।

घरेलू संजीवनी

बदलते मौसम के साथ अधिकतर लोगों को अक्सर बुखार और सर्दी, खांसी व स्नायुतंत्र जैसी समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं। ऐसे में बार-बार कई तरह की ऐलोपैथिक दवाई लेना भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए बार-बार क्लिनिक के चक्कर लगाने से अच्छा है कि आप एक बार इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए नीचे लिखा नुस्खा जरुर आजमाएं। सामग्री- गुलाब के फूल, तुलसी के पत्ते, ब्राह्मी बूटी, खसखस, और शंखपुष्पी 300-300ग्राम। बनफशा, मुलहठी, सौंफ, तेजपान, 100-100ग्राम। लाल चंदन, बड़ी इलाइची, दालचीनी, लौंग, सौंठ, बदयान, काली मिर्च और असली केसर 10-10 ग्राम सबको अच्छी तरह पीसकर, छानकर बारीक चूर्ण कर लें। सेवन विधि- एक चम्मच चूर्ण एक लीटर पानी में डाल कर उबालें। उचित मात्रा में चीनी और दूध डालकर सुबह खाली पेट एक गिलास पीएं। यह मात्रा चार व्यक्ति के लिए है। लाभ- इसके सेवन से शरीर के आंतरिक दोष दूर होते हैं। मानसिक व शारीरिक थकावट व निर्बलता दूर होती है। सिरदर्द, खांसी, गैस ज्वर, और उदर रोगों से छुटकारा मिलता है। स्मरण शक्ति और दिमागी ताकत बढ़ती हैं। स्नायुदौर्बल्य दूर होता है। दरअसल यह संजीवनी बूटी

नींबू-बीमारियों के रामबाण

नींबू को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। विशेषकर पेट से संबंधित समस्याओं के लिए नींबू का प्रयोग अनेक तरीकों से किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के ऐसे ही कुछ घरेलू प्रयोग जिनसे आप कई छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं। - पेट साफ नहीं हो रहा हो या पेचिश हो, तो प्याज के रस में कागजी नींबू का रस मिलाएं। इसमें थोड़ा-सा पानी डालकर पीएं, लाभ होगा। - स्कर्वी रोग में नींबू श्रेष्ठ दवा का काम करता है। एक भाग नींबू का रस और आठ भाग पानी मिलाकर रोजाना दिन में एक बार लें। - नींबू के रस में थोड़ी शकर मिलाएं। इसे गर्म कर सिरपनुमा बना लें। इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पिएँ। पित्त के लिए यह अचूक औषधि है। आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खांसी, श्वास व जुकाम में लाभ होता है। - नींबू ज्ञान तंतुओं की उत्तेजना को शांत करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है। - एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच पानी मिलाकर, घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छ

हाइब्लडप्रेशर और टेंशन

अधिकांशत: बीमारियों के उपचार के लिए लोग नियमित रूप से दवाईयों का सेवन करते हैं। लेकिन ब्लडप्रेशर और तनाव दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें दवाईयों से जड़ से मिटाना थोड़ा मुश्किल है। कहते हैं जिन रोगों को सिर्फ औषधीयों से नहीं मिटा जा सकता है उनका उपचार योग व ध्यान से संभव है। इसीलिए कान्स्टीपेशन, तनाव या हाई ब्लडप्रेशर को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ रोज दस मिनट के लिए नीचे लिखी विधि से ध्यान करें। ध्यान विधि- शरीर को ढीला छोड़ दीजिए, ध्यान रहे कमर झुकनी नहीं चाहिए। - बंद आंखों से अपना पूरा ध्यान मूलाधार क्षेत्र में ले आइए। - पूरा ध्यान बंद आंखों से वहीं एक जगह पर केन्द्रित करिए, गुदा द्वार को ढीला छोड़ दीजिए। - लिंगमूल को ढीला छोड़ दीजिए। - इससे सांस की गति अचनाक गहरी और तीव्र हो जाएगी। - अपने सांस पर ध्यान दीजिए। - अब अपना पूरा ध्यान नासिका पर ले आइए। - इसके बाद अपनी सांस को गौर से देखिए। - कम से कम 30 सांस तक आप इसी अवस्था में रहें। - अब देखिए ध्यान में जाने से पहले और अब में कितना फर्क पड़ा है।

आयुर्वेद में गुणों की खान: आंवला

आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। आंवले के पेड़ की ऊचांई लगभग 6 से 8 तक मीटर तक होती है। आंवले के पत्ते इमली के पत्तों की तरह लगभग आधा इंच लंबे होते हैं। इसके पुष्प हरे-पीले रंग के बहुत छोटे गुच्छों में लगते हैं तथा फल गोलाकार लगभग 2.5 से 5 सेमी व्यास के हरे, पीले रंग के होते हैं। पके फलों का रंग लालिमायुक्त होता है। यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं। आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता। आंवले में क्रोमियम काफी मात्रा में होता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है। दरअसल, क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है और इस हॉर्मोन का काम शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है। आंवला हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है। आयुर्वेद में आंवले को रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो

हनुमान जी का फोटो

अगर आप घर में हनुमान जी का फोटो या तस्वीर घर में लगाना चाहते हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें। इससे आपके घर पर कोई बुरा साया नहीं पड़ेगा साथ ही घर में सकारात्मक शक्ति बढऩे लगेगी। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में देवी-देवताओं के चित्रों को लगाने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। घर का वातावरण सुकून देने वाला और पवित्र बना रहता है। बाहर से आने वाले लोगों पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है। घर में सभी सदस्यों के बीच परस्पर प्रेम सदा बढ़ता रहता है। हनुमानजी के चित्र का महत्व ध्यान में रखते हुए वास्तु में कई नियम बताए गए हैं। - वास्तु के अनुसार हनुमानजी की फोटो हमेशा दक्षिण दिशा की ओर देखती हुई लगानी चाहिए। - इसी तरह उत्तर दिशा में हनुमान जी का फोटो लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत को हनुमान जी रोक देते हैं। - इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ेगी। - हनुमान जी फोटो में उड़ते हुए दिखाइ देना चाहिए। - शक्ति प्रदर्शन की मुुद्रा में हनुमान जी का फोटो लगाने पर घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करती। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी फोट

श्रीराम दरबार

घर-परिवार में अक्सर छोटी-छोटी बातों पर बड़े विवाद हो जाते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कभी-कभी एक-दूसरे सदस्य के प्रति जलन की भावना पैदा हो जाती है और वहीं से मनमुटाव बढऩे लगता है। जहां संयुक्त परिवार रहते हैं वहां अक्सर सास-बहु, देवरानी-जेठानी और भाईयों के बीच तू-तू, मैं-मैं होती रहती है। इस प्रकार की परिस्थितियां काफी परिवारों में बनती है। शास्त्रों में परिवार से इस प्रकार की मानसिकता दूर करने के लिए कई उपाय, छोटी-छोटी परंपराएं बताई गई हैं। इनका पालन करने पर परिवार के सभी सदस्यों का आपसी प्रेम बना रहता है और किसी प्रकार का क्लेश नहीं उपजता। परिवार के सभी सदस्यों में परस्पर प्रेम और स्नेह बना रहे इसके लिए घर में श्रीराम दरबार का फोटो लगाना चाहिए। श्रीराम दरबार का प्रतिदिन दर्शन करें। यह ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जहां सभी सदस्य आसानी से भगवान के दर्शन कर सके। श्रीराम को परिवार का देवता माना गया है। श्रीराम के पूजन और दर्शन मात्र से परिवार के बीच के सभी मनमुटाव और वाद-विवाद समाप्त हो जाते हैं। श्रीराम के दर्शन से परिवार के सभी सदस्यों की सोच सकारात्मक बनेगी और वे सभी एक-दूसरे क

गांधारी का शाप कृष्ण क्यों लग गया?

भगवान को विचार आता है मुझे शाप मिला था। आज शाप को पूर्ण करने का अवसर आया है। जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था और जब पांडव विजय हो गए थे, राजतिलक हुआ और हस्तिनापुर में प्रवेश कराने के लिए भगवान स्वयं गए। भगवान कृष्ण ने पांडवों से कहा- देखो, हम जीत तो गए हैं लेकिन कौरवों के माता-पिता धृतराष्ट्र और गांधारी अब अकेले हैं, सारा महल सुनसान हो चुका है। हम वहां चलकर उनको प्रणाम करें। पांडवों को लेकर भगवान हस्तिनापुर पहुंचे। महल जिसमें आदमी ही आदमी होते थे, सेवक-सेविकाएं होती थीं। किसी माता-पिता के सौ बच्चे हों, क्या आनंद रहा होगा। सारा हस्तिनापुर सुनसान, सब लोग मारे गए युद्ध में। केवल विधवाओं की चित्कार सुनाई दे रही थी। बच्चे किलकारी मार रहे हैं, याद कर रहे हैं अपने लोगों को। भगवान जैसे ही पहुंचे हैं धृतराष्ट्र पूछ रहा था कहां हैं पांडव। जैसे ही उनके कक्ष में पहुंचे तो वहां भीम की एक लोहे की मूर्ति रखी हुई थी। दुर्योधन भीम को मारने के लिए उस मूर्ति पर गदा अभ्यास किया करता था, उस पर प्रहार करता था। इसलिए बहुत बलवान था। पांचों पांडव आए, भगवान आगे थे। धृतराष्ट्र खड़े हैं। भगवान कहते हैं रा

सरल इलाज: परेशान नहीं करेगा सिरदर्द

सिरदर्द एक आम समस्या है जिसके कई कारण हो सकते हैं। थोड़े समय तक या हल्का सिरदर्द तो किसी को भी हो सकता है। लेकिन अगर सिरदर्द बार-बार होता है तो आगे चलकर यह कई बीमारियों का कारण बन जाता है। अगर आप भी बार-बार होने वाले सिरदर्द से परेशान हैं तो नीचे लिखे आसनों को नियमित रूप से करें। विधि- ध्यान- इस आसन में सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठें। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में होंगे। आंखें बंद, गर्दन बिल्कुल सीधी रखें। चित्त बिल्कुल शांत करें और श्वास, प्रश्वास और प्रश्वसन आसन में बैठ जाएं। योग मुद्रा- दोनों पैरों को एक-दूसरे के ऊपर रखकर पद्मासन की मुद्रा में आ जाएं। दोनों हाथों को पीछे ले जाकर कलाइयां पकड़ लें। उसके बाद धीरे-धीरे कमर को आगे की ओर झुकाते हुए अपनी ठोड़ी को जमीन पर लगाने की कोशिश करें। चन्द्रभेदी प्राणायाम- पद्मासन में बैठें। गर्दन, कमर बिल्कुल सीधी रखें। दायें हाथ के अंगूठे से दाहिनी नाक को बंद करें। फिर नाक के बाएं छिद्र से सांस भरें और दाएं हाथ की उंगलियों से नाक को बंद करते हुए दाईं और से श्वास बाहर निकालें। इस प्राणायाम को 12-15 बार करें। पवनमुक्त आसन- सबसे पहले प

रामबाण प्रयोग

गुड़हल की कुछ प्रजातियों को उनके सुन्दर फूलों के लिए उगाया जाता है। ये फूल गणेशजी और देवी के प्रिय माने जाते हैं। दक्षिण भारत के मूल निवासी गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल बालों की देखभाल के लिए करते हैं। भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार सफेद गुड़हल की जड़ों को पीस कर कई दवाएं बनाई जाती हैं। मेक्सिको में गुड़हल के सूखे फूलों को उबालकर बनाया गया पेय एगुआ डे जमाईका अपने रंग और तीखे स्वाद के लिये काफी लोकप्रिय है। आयुर्वेद में इस फूल के कई प्रयोग बताएं गए हैं आज हम भी आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही प्रयोग जिन्हें आजमाकर आप भी लाभ उठा सकते हैं। - गुड़हल का शर्बत हृदय व मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है तथा ज्वर व प्रदर में भी लाभकारी होता है। यह शर्बत बनाने के लिए गुड़हल के सौ फूल लेकर कांच के पात्र में डालकर इसमें 20 नीबू का रस डालें व ढक दें। रात भर बंद रखने के बाद प्रात: इसे हाथ से मसलकर कपड़े से इस रस को छान लें। इसमें 80 ग्राम मिश्री, 20 ग्राम गुले गाजबान का अर्क, 20 ग्राम अनार का रस, 20 ग्राम संतरे का रस मिलाकर मंद आंच पर पका लें। चाशनी शर्बत जैसी हो जाए तो उतारकर दो

किचन के डॉक्टर

स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी समस्याएं हर घर में कभी न कभी घर के किसी न किसी सदस्य को हो ही जाती है। ऐसे में समय-असमय डॉक्टर के पास जाना या मामूली तकलीफ के लिए बिना डॉक्टर की सलाह लिए दवा लेना भी ठीक नहीं होता। ऐसी छोटी-मोटी बीमारियों का घरेलु इलाज करना ही बेहतर रहता है। भारतीय किचन के मसाले भी किसी औषधि से कम नहीं है आइए हम बताते हैं आपको छोटी-मोटी बीमारियों के कुछ मसालेदार इलाज: - सर्दी ज्यादा परेशान कर रही हो तो छाती पर और सिर पर अजवाइन की पोटली से सेंक करके ओढ़कर सो जाएं। सर्दी से जल्द ही राहत मिलेगी। - घी में सिकी हुई लोंग मुंह में रखें खांसी और खराश से छुटकारा मिलेगा। - पानी में अजवाइन उबालकर इस अजवाइन वाले पानी की भाप घुटनों पर देने से घुटनों का दर्द ठीक होता है। - थोड़ा-सा काला नमक, अजवाइन, सौंफ और मिलाकर चूर्ण बनाकर खाएं पेटदर्द में आराम मिलेगा। - एक गिलास दूध में इलाइची पाउडर डालकर पीने से सिरदर्द बंद हो जाता है। - एक चम्मच सरसों के तेल में एक चुटकी हल्दी और नमक मिलाकर दांतों पर हल्के-हल्के मालिश करने से दांत का दर्द दस से पंद्रह मिनट में ठीक हो जाता है। - रात म