सरल इलाज: परेशान नहीं करेगा सिरदर्द

सिरदर्द एक आम समस्या है जिसके कई कारण हो सकते हैं। थोड़े समय तक या हल्का सिरदर्द तो किसी को भी हो सकता है। लेकिन अगर सिरदर्द बार-बार होता है तो आगे चलकर यह कई बीमारियों का कारण बन जाता है। अगर आप भी बार-बार होने वाले सिरदर्द से परेशान हैं तो नीचे लिखे आसनों को नियमित रूप से करें। विधि- ध्यान- इस आसन में सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठें। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में होंगे। आंखें बंद, गर्दन बिल्कुल सीधी रखें। चित्त बिल्कुल शांत करें और श्वास, प्रश्वास और प्रश्वसन आसन में बैठ जाएं। योग मुद्रा- दोनों पैरों को एक-दूसरे के ऊपर रखकर पद्मासन की मुद्रा में आ जाएं। दोनों हाथों को पीछे ले जाकर कलाइयां पकड़ लें। उसके बाद धीरे-धीरे कमर को आगे की ओर झुकाते हुए अपनी ठोड़ी को जमीन पर लगाने की कोशिश करें। चन्द्रभेदी प्राणायाम- पद्मासन में बैठें। गर्दन, कमर बिल्कुल सीधी रखें। दायें हाथ के अंगूठे से दाहिनी नाक को बंद करें। फिर नाक के बाएं छिद्र से सांस भरें और दाएं हाथ की उंगलियों से नाक को बंद करते हुए दाईं और से श्वास बाहर निकालें। इस प्राणायाम को 12-15 बार करें। पवनमुक्त आसन- सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइए। उसके बाद दायीं टांग को घुटनों से मोड़ते हुए अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मिला लें और ठोड़ी को घुटनों से मिलाने की कोशिश करें। बायीं टांग जमीन पर सीधी रहेगी। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें। इसी प्रकार इस आसन को बायीं टांग से करें। इस आसन को कम से कम पांच बार दोहराएं। वज्रासन- घुटनों को मोड़कर अपने शरीर का पूरा भार अपने दोनों पैरों की एडिय़ों पर रखकर बैठ जाएं। दोनों पैरों के पंजे आपस में मिले हों और दोनों एडिय़ां आपस में जुड़ी नहीं हों। दोनों हाथ घुटनों पर रखें। गर्दन, कमर और कंधे बिल्कुल सीधे और आंखें खुली रखें। इस आसन में कम-से-कम पांच मिनट तक बैठें। शवासन- इसमें पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों के बीच एक से दो फुट का फासला रखें। दोनों हाथ जांघों के पास और दोनों हथेलियां ऊपर की ओर हों। इस आसन में हम अपने पूरे शरीर को आराम देते हैं और अपना सारा ध्यान सांस लेने और छोडऩे में लगाते हैं। इससे हम अपने अंतर्मन से शरीर के एक-एक अंग का अवलोकन करते हैं। सावधानी-दमा, ब्रॉन्काइटिस, निम्न रक्तचाप के रोगी व गर्भवती महिलाएं ये आसन ना करें।

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