Posts

Showing posts from 2011

शिव के 11 रुद्रों की अद्भुत शक्ति

वेदों का ज्ञान कुदरत के कण-कण में शिव के अनेक रूपों का दर्शन कराता है। इन रूपों में ही एक हैं - रुद्र। रुद्र का शाब्दिक अर्थ होता है - रुत यानी दु:खों को अंत करने वाला। यही कारण है कि शिव को दु:खों का नाश करने वाले देवता के रुप में पूजा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक शिव ग्यारह अलग-अलग रुद्र रूपों में दु:खों का नाश करते हैं। यह ग्यारह रूप एकादश रुद्र के नाम से जाने जाते हैं। व्यावहारिक जीवन में भी कोई दु:खों को तभी भोगता है, जब तन, मन या कर्म किसी न किसी रूप में अपवित्र होते हैं। इसी कारण धर्म और आध्यात्म के धरातल पर दस इन्द्रियों और मन को मिलाकर ग्यारह यानी एकादश रुद्र माने गए है। जिनमें शुभ भाव और ऊर्जा का होना ही शिवत्व को पाने के समान है। शिव के रुद्र रूप की आराधना का महत्व यही है कि इससे व्यक्ति का चित्त पवित्र रहता है और वह ऐसे कर्म और विचारों से दूर होता है, जो मन में बुरे भाव पैदा करे। जानते हैं ऐसे ही ग्यारह रूद्र रूपों को– शम्भू - शास्त्रों के मुताबिक यह रुद्र रूप साक्षात ब्रह्म है। इस रूप में ही वह जगत की रचना, पालन और संहार करते हैं। पिनाकी - ज्ञान शक्ति रूपी चारों वेदों

हनुमानजी की भक्ति

कलयुग में हनुमानजी की भक्ति सबसे सरल और जल्द ही फल प्रदान करने वाली मानी गई है। श्रीराम के अनन्य भक्त श्री हनुमान अपने भक्तों और धर्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों की हर कदम मदद करते हैं। सीता माता के दिए वरदान के प्रभाव से वे अमर हैं और किसी ना किसी रूप में अपने भक्तों के साथ रहते हैं। हनुमानजी को मनाने के लिए सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का नित्य पाठ। हनुमानजी की यह स्तुति का सबसे सरल और सुरीली है। इसके पाठ से भक्त को असीम आनंद की प्राप्ति होती है। तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा बहुत प्रभावकारी है। इसकी सभी चौपाइयां मंत्र ही हैं। जिनके निरंतर जप से ये सिद्ध हो जाती है और पवनपुत्र हनुमानजी की कृपा प्राप्त हो जाती है। यदि आप मानसिक अशांति झेल रहे हैं, कार्य की अधिकता से मन अस्थिर बना हुआ है, घर-परिवार की कोई समस्यां सता रही है तो ऐसे में सभी ज्ञानी विद्वानों द्वारा हनुमान चालीसा के पाठ की सलाह दी जाती है। इसके पाठ से चमत्कारिक फल प्राप्त होता है, इसमें को शंका या संदेह नहीं है। यह बात लोगों ने साक्षात् अनुभव की होगी की हनुमान चालीसा के पाठ से मन को शांति और कई समस्याओं के हल स्व

डाइबिटीज को रखें कंट्रोल में

वर्तमान समय में हर उम्र वाले लोगों में डाइबिटीज के रोगी देखे जा सकते हैं। डाइबिटीज एक ऐसा रोग है जो अगर एक बार इंसान को लग जाए तो उसे जिंदगी भर दवाईयां खानी पड़ती है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो योग के कटिचक्रासन के माध्यम से आप इस पर काबू पा सकते हैं। कटिचक्रासन पहली विधि- कटिचक्रासन का अभ्यास करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखें। अब कंधों की सीध में दोनों हाथों को फैलाएं। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें और दाएं हाथ को पीछे से बाईं ओर लाकर धड़ से लपेटे। सांस क्रिया सामान्य रूप से करते हुए मुंह को घुमाकर बाएं कंधों की सीध में ले आएं। इस स्थिति में कुछ समय तक खड़े रहें और फिर दाईं तरफ से भी इस क्रिया को इसी प्रकार से करें। इस क्रिया को दोनों हाथों से 5-5 बार करें। ध्यान रखें कि कमर को घुमाते हुए घुटने न मुड़े तथा पैर भी अपने स्थान से बिल्कुल न हिलें। दूसरी विधि- इसके लिए पैरों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को कंधों की सीध में सामने की ओर करें तथा दोनों हथेलियों को आमने-सामने रखें। अब सांस सामान्य रू

घर के झगड़ें

पार्टनर के साथ झ्रगड़ा, दिनों दिन बढ़ता खर्च और उपर से घर में बढ़ती अशांति से आप परेशान है तो ज्योतिष की मदद लें। ज्योतिष के अनुसार आपकी जिंदगी पर सितारों का पूरा पूरा असर होता है। रोज के बदलते सितारें आपकी जिंदगी बदल देते हैं। कुछ लोगों की जिंदगी में ऐसे दिन आते तो है लेकिन ये बदलने का नाम नहीं लेते। ऐसे में हर कोई परेशान रहता है और लाखों जतन कर लेता है लेकिन फिर भी शांति नहीं मिलती तो राशि अनुसार कुछ आसान उपाय करने चाहिए। इनका असर देर से शुरु होता है लेकिन लंबे समय तक होता है। जानिए क्या है ये आसान उपाय- मेष- लाल कपड़े में हनुमान जी के सीधे पैर का सिंदूर लेकर घर के पूजा स्थान पर रखें। वृष- इस राशि के लोग शिवलिंग पर चावल चढा़ए और चढ़े हुए चावल सफेद कपड़ें में लेकर पूजा स्थान पर रखें। मिथुन- मिथुन राशि वाले घर के मेनगेट के उपर गणेश जी का फोटो लगा लें। कर्क- इस राशि के लोग गंगाजल और गाय का कच्चा दूध मिलाकर घर में छिटें तो घर में शांति और बरकत बनी रहेगी। सिंह- सिंह राशि के लोग तांबे के लोटे का जल पूरे घर में छिंटें तो जल्दी ही घर में शंाति हो जाएगी। कन्या- बुध की इस राशि के

माइग्रेन: परेशानी का सबब

तेज शोर और धूप या अधिक भागदौड़ अक्सर माइग्रेन के पेशेन्ट के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में कई बार दवाईयां भी अपना असर नहीं दिखाती हैं। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे बताए जा रहे कुछ आयुर्वेद के उपायों से आप इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। - गाय का ताजा घी सुबह शाम दो चार बूंद नाक में डालने से टपकाने से माइग्रेन का दर्द हमेशा के लिए जड़ से खत्म हो जाता है। - सिर के जिस भाग में दर्द हो रहा हो उस तरफ के नथुने में चार पांच बूंद सरसों के तेल की डालने से या तेल को सूंघने से आधासिर दर्द बन्द हो जाता है। विशेष: इस विधि को अपनाने से नाक से खून आने(नकसीर) की समस्या भी दूर हो जाती है। सावधानी: यह प्रयोग आयुर्वेद के किसी अनुभवी जानकार की देखरेख में करना ज्यादा सुरक्षित रहता है।

पिस्ता

पिस्ता को सबसे अच्छा स्नेक माना जाता है। पिस्ते के छिलके को हटाकर इसके अंदर का हिस्सा जो खाने में प्रयोग लाया जाता है। वह बिल्कुल आंख की तरह दिखाई पड़ता है। माना जाता है कि भगवान ने जो फ्रूट जिस शेप का बनाया है। शरीर में उसके आकार अगर कोई अंग हो तो वह शरीर के उस हिस्से को सबसे अधिक प्रभावित करता है। पिस्ता का शेप क्योंकि आंख जैसा है इसलिए कुछ मात्रा में पिस्ते का सेवन हमें करना चाहिए या कहें कि आंखों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है। ताजा शोध से ज्ञात हुआ है पिस्ता का सेवन जब सामान्य हाई कार्बोहाइड्रेट भोजन जैसे ब्रेड आदि के साथ किया जाता है तो ये कार्बोहाइड्रेट शरीर में बेहतर अवशोषण सुनिश्चित करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप ब्लड शुगर का स्तर अपेक्षा से कहीं अधिक घट जाता है। पिस्ते वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), रक्त को शुद्ध करने वाले, शक्तिवद्र्धक, पित्तकारक, भेदक, कटु और सारक (दस्तावर) हैं। वात, कफ और पित्तनाशक है। इसके उपयोग से मस्तिष्क (दिमाग) की दुर्बलता दूर होती है। पिस्ता ताकत देने वाला और पौष्टिक होता है। पिस्तों में से तेल निकलता है। इस तेल की मालिश सिर में करने

डायबिटीज/मधुमेह की रोकथाम

हल्दी में अनेक तरह के गुणों का खजाना है। इसीलिए हल्दी का उपयोग पुराने समय से ही भारत में भोजन में नियमित रूप से किया जाता रहा है। इसका कारण यह है कि हल्दी में वातनाशक का गुण भी पाया जाता है।आयुर्वेद में भी हल्दी को कई रोगों की एक रामबाण दवा माना गया है। हल्दी रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर डायबिटीज के रोगियों के लिए हल्दी का उपयोग संजीवनी की तरह काम करता है। आयुर्वेद में यह माना गया है कि हल्दी से मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की गर्भवती महिला ही क्यों न हो। हल्दी में प्रोटीन,वसा खनिज पदार्थ एरेशा, फाइबर, मैंगनीज, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम,फास्फोरस, लोहा, ओमेगा, विटामिन ए, बी, सी के स्रोत तथा कैलोरी भी पाई जाती है। माना जाता है कि मधुमेह की रोकथाम के लिए हल्दी सबसे अच्छा इलाज है। रोज आधा चम्मच हल्दी लेकर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। मधुमेह के रोगियों को रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर

बचे रहेंगे डाइबिटीज से हमेशा

आप कफ बढाने वाले खान-पान एवं दिनचर्या (दिन में सोने) से बचें। -नियमित व्यायाम से आप डाइबिटीज सहित हृदय रोगों से भी बचे रह सकते हैं इसके लिए योग अभ्यास ( पश्चिमोत्तासन एवं हलासन का अभ्यास ) एक महत्वपूर्ण साधन है। -संतुलित भोजन को प्राथमिकता दें। -रोज खाने के बाद थोड़ी देर जरूर टहले। -धूम्रपान व मद्यपान से बचें। -जामुन के गुठली का चूर्ण ,नीम के पत्र का चूर्ण,बेल के पत्र का चूर्ण ,शिलाजीत , गुडमार ,करेला बीज एवं त्रिफला का चूर्ण चिकित्सक के परामर्श से लेना डाइबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होगा। -कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे वसंतकुसुमाकर रस ,त्रिबंग भस्म ,शिलाजीत,चंद्रप्रभावटी इस रोग में दी जानेवाली प्रचलित औषधी हैं।

Reduce High Blood Sugar Levels with Ayurvedic Plants

High blood sugar or diabetes is a health disorder. In this health condition, the body is not able to make enough insulin, or cannot respond to insulin, or distribute it well in the body. Glucose is required for the cells to provide energy to the body. In case of diabetic patient, due to the absence of insulin, glucose cannot be absorbed in the cells and as a result it remains in the blood causing high glucose in the blood. Over time, the high level of glucose in the blood can cause other serious health disorders like cardiovascular diseases, kidney disease, and blindness, damage to blood vessels, stroke, and eventually death. There are two types of diabetes such as type 1 and type 2. Type 1 diabetes usually affects children and teenagers. In this case, pancreas stops making insulin due to its damage caused by the body’s immune system. Type 2 diabetes is usually found in the people after the age of 30. Here the health disorder is due to poor lifestyle, obesity, advancing age, and he

पीठ के दर्शन वर्जित किए गए हैं।

हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि देवी-देवताओं के दर्शन मात्र से हमारे सभी पाप अक्षय पुण्य में बदल जाते हैं। फिर भी श्री गणेश और विष्णु की पीठ के दर्शन वर्जित किए गए हैं। गणेशजी और भगवान विष्णु दोनों ही सभी सुखों को देने वाले माने गए हैं। अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं और उनकी शत्रुओं से रक्षा करते हैं। इनके नित्य दर्शन से हमारा मन शांत रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं। गणेशजी को रिद्धि-सिद्धि का दाता माना गया है। इनकी पीठ के दर्शन करना वर्जित किया गया है। गणेशजी के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े अंग निवास करते हैं। गणेशजी की सूंड पर धर्म विद्यमान है तो कानों पर ऋचाएं, दाएं हाथ में वर, बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड, आंखों में लक्ष्य, पैरों में सातों लोक और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर उपरोक्त सभी सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त हो जाती है। ऐसा माना जाता है इनकी पीठ पर दरिद्रता का निवास होता है। गणेशजी की पीठ के दर्शन करने वाला व्यक्ति यदि बहुत धनवान भी हो तो उसके घर पर दरिद्रता का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह

चश्मा उतर जाएगा

लगातार कम्प्यूटर पर काम करने व पढाई के अधिक बोझ के साथ ही,विटामिन व पौष्टिक खाने की कमी के कारण भी अधिकांश लोगों की आंखे कमजोर होती जा रही हैं। अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है।अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी। - बादाम की गिरी, सौंफ बड़ी और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें। - त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है। - रोज सुबह नंगे पांव हरी घास पर घूमें। - पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आखों की रोशनी तेज होती है। - सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आखों में छींटे मारने से आखें की रोशनी बढ़ती है।

श्रीरामचरितमानस

गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस में ऐसी अनेक चौपाइयां लिखी हैं जिनका नित्य जप करने से हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसी ही एक चौपाई नीचे लिखी है। इस चौपाई का विधि-विधान से जप करने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। चौपाई जो प्रभु दीनदयाला कहावा। आरति हरन बेद जस गाबा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।। दीनदयाल बिरद संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।। जप विधि - प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपटकर भगवान श्रीराम की पूजा करें। - इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके तुलसी की माला से इस चौपाई का सच्चे मन से जप करें। - प्रतिदिन कम से कम 5 माला जप अवश्य करें। - कुछ ही दिनों में इस चौपाई का प्रभाव दिखने लगेगा और आपके संकट दूर होते चले जाएंगे।

तुलसी का पौधा

स्वस्थ तन, मन और वाणी में मिठास किसे सुख-सुकून नहीं देती? दरअसल तीनों ही बातों में एक समानता है और वह है पवित्रता। जी हां, स्वच्छता किसी भी रूप में मौजूद हो वह मन को ऊर्जा व ताजगी देती है। बस, यही ऊर्जा अलग-अलग तरह की गुण व शक्तियों में तब्दील हो सुख-संपन्नता पाने में मदद करती है। जिसे ही धार्मिक आस्था से देवी लक्ष्मी की कृपा भी माना जाता है। इस तरह जाहिर है कि जहां तन, मन, विचार व वातावरण में पवित्रता हो वहां लक्ष्मी बसती है। सांसारिक जीवन में ऐसी ही पवित्रता का प्रतीक व लक्ष्मी का साक्षात् स्वरूप माना जाता है - तुलसी का पौधा। इसलिए शास्त्रों में तुलसी पौधा घर में लगाने का शुभ फल लक्ष्मी की असीम कृपा बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं में भी इसे तुलसी व वृंदा के नाम से विष्णु प्रिया या लक्ष्मी का ही रूप बताया गया है। इसीलिए शालिग्राम-तुलसी विवाह की परंपरा व पूजा भी सुख-समृद्ध करने वाली मानी गई है। माना जाता है कि हरि व हर यानी शिव-विष्णु की कृपा से ही तुलसी को देववृक्ष का स्वरुप प्राप्त हुआ। व्यावहारिक रूप से भी घर में तुलसी पूजा से मन में शुद्ध भाव पैदा होते हैं तो खाने से तन भी निर

पैर छुने की परंपरा

उम्र में बड़े लोगों के पैर छुने की परंपरा काफी प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इससे आदर-सम्मान और प्रेम के भाव उत्पन्न होते हैं। साथ ही रिश्तों में प्रेम और विश्वास भी बढ़ता है। पैर छुने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही मौजूद हैं। जब भी कोई आपके पैर छुए तो सामान्यत: आशीर्वाद और शुभकामनाएं तो देना ही चाहिए, साथ भगवान का नाम भी लेना चाहिए। जब भी कोई आपके पैर छुता है तो इससे आपको दोष भी लगता है। इस दोष से मुक्ति के लिए भगवान का नाम लेना चाहिए। भगवान का नाम लेने से पैर छुने वाले व्यक्ति को भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और आपके पुण्यों में बढ़ोतरी होती है। आशीर्वाद देने से पैर छुने वाले व्यक्ति की समस्याएं समाप्त होती है, उम्र बढ़ती है। किसी बड़े के पैर क्यों छुना चाहिए? पैर छुना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छुने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर उतर जाती है। पैर छुने का सबसे बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छुए जाते हैं।

श्री हनुमान चरित्र

श्री हनुमान के चरित्र में अपनत्व का विलक्षण भाव देखने को मिलता है। श्री हनुमान ने इसी गुण के बूते हर स्थिति, स्थान और संबंधों को अनुकूल बना लिया। श्री हनुमान ने अपनेपन के इस भाव से ही न केवल स्वयं प्रभु राम की कृपा और माता सीता से अचूक सिद्धियां व अनमोल निधियां पाई, बल्कि दूसरों पर भी कृपा बरसाई। इस तरह पवनपुत्र हनुमान के इस गुण से सीख यही मिलती है कि जीवन में मुसीबतों को पछाडऩा है तो हालात से मुंह मोडऩे या रिश्तों से अलगाव के बजाए अपनेपन यानी तालमेल, प्रेम व जुड़ाव के सूत्र को अपनाएं। क्योंकि अलगाव में क्षण भर का आवेग लंबी पीड़ा दे सकता है, किंतु जुड़ाव वक्त लेकर भी लंबा सुख और सफलता देने वाला होता है। मंगलवार के दिन ऐसे मंगलमूर्ति श्री हनुमान के ध्यान से जीवन मंगलमय बनाने के लिए बहुत ही शुभ घड़ी मानी गई है। इस दिन हनुमान का ध्यान ग्रह, मन, कर्म व विचारों के दोषों का शमन कर सुख-सफलता देने वाला माना गया है। जिसके लिए हनुमान के विशेष मंत्र स्तुति का ध्यान का महत्व हैं। जानते हैं यह मंत्र - - मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान को यथाशक्ति सिंदूर, गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य

अर्जुन के दस नाम

एक बार की बात है जब कौरवों ने नपुसंक वेषधारी पुरुष को रथ में चढ़कर शमीवृक्ष की तरफ जाते हुए देखा तो वे अर्जुन के आने की आशंका से मन ही मन बहुत डरे हुए थे। तब द्रोणाचार्य ने पितामह भीष्म से कहा गंगापुत्र यह जो स्त्रीवेष में दिखाई दे रहा है, वह अर्जुन सा जान पड़ता है। इधर अर्जुन रथ को शमी के वृक्ष के पास ले गए और उत्तर से बोले राजकुमार मेरी आज्ञा मानकर तुम जल्दी ही वृक्ष पर से धनुष उतारो। ये तुम्हारे धनुष के बाहुबल को सहन नहीं कर सकेंगे। उत्तर को वहां पांच धनुष दिखाई दिए। उत्तर पांडवों के उन धनुषों को लेकर नीचे उतारा और अर्जुन के आगे रख दिए। जब कपड़े में लपेटे हुए उन धनुषों को खोला तो सब ओर से दिव्य कांति निकली। तब अर्जुन ने कहा राजकुमार ये तो अर्जुन का गाण्डीव धनुष है। राजकुमार उत्तर ने नपुसंक का वेष धरे हुए अर्जुन से कहा अगर ये धनुष पांडवों के हैं तो पांडव कहां हैं? तब अर्जुन ने कहा मै अर्जुन हूं। उत्तर ने पूछा कि मैंने अर्जुन के दस नाम सुने हैं? अगर तुम मुझे उन नामों का व उन नामों के कारण बता दो तो मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास हो सकता है। उत्तर बोला- मैंने अर्जुन के दस नाम सुने है

लहसुन के गुणकारी प्रयोग

जो कुछ भी हम रोजमर्रा के आहार में खाते-पीते हैं। उन सभी के अपने गुण-दोष होते हैं। रोटी, चावल, दाल, सब्जी, तथा उनमें डाले जाने वाले मसाले आदि सभी के कुछ न कुछ गुण हैं। अब जैसे लहसुन में एक नहीं अनगिनत गुण हैं। ऐसे ही लहसुन के एक गुणकारी प्रयोग की जानकारी दी जा रही हैं। लहसुन खून में बढ़ी चर्बी कोलेस्ट्रोलको कम करने का काम करता है। उच्च रक्तचाप भी अनेक मारक रोगों का बढ़ा कारण माना जाता है। लहसुन का प्रयोग इन दोनों ही बीमारियों को जड़ से नष्ट करने की क्षमता रखता है। बस इसमें एक ही कमी हैं, वह है इसकी दुर्गंध। लेकिन इसमें कोलेस्ट्रोल को ठीक करने की गजब की क्षमता होती है। रोज सबेरे बिना कुछ खाए- पीए दो पुष्ट कलियां छीलकर टुकड़े करके पानी के साथ चबाकर खा ले निगल जाए। इस साधारण से प्रयोग को नित्य करते रहने से रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल तो कम होगा ही, साथ ही उच्च रक्तचाप रोगियों का रोग भी नियंत्रित हो जाएगा। शरीर में कही भी ट्युमर होने की संभावना दूर हो जाती है।

शिवजी का अभिषेक

भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना जाता है। इसीलिए शास्त्रों में बताया गया है कि जल व पंचामृतधारा से शिवजी का अभिषेक करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। अभिषेक करते समय ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में दिये गए मंत्र बोले जाते हैं। रूद्राष्टाध्यायी मंत्रों का भी उल्लेख मिलता है। जल में दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। लेकिन हर धारा से अभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है। इसीलिए अलग-अलग वस्तुओं की धारा से शिवजी का अभिषेक किया जाता है। कहते हैं भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है। जल की धारा: जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न कामनाओं की पूर्ति होती है। घृत घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है। इत्र की धारा से भोग की वृद्धि होती है। शहद से टी बी रोग का नाश होता है। ईख से आनंद की प्राप्ति होती है। गंगाजल से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए माना

हनुमानजी से सीखिए

जीवन में ज्ञान, कर्म और उपासना तीनों में से कोई भी मार्ग चुन लें, समस्याएं हर मार्ग पर आएंगी। लेकिन अच्छी बात यह है कि हर समस्या अपने साथ एक समाधान लेकर ही चलती है। समाधान ढूंढ़ने की भी एक नजर होती है। सामान्यत: हमारी दृष्टि समस्या पर पड़ती है, उसके साथ आए समाधान पर नहीं। श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड में जब हनुमानजी लंका की ओर उड़े तो सुरसा ने उन्हें खाने की बात कही। पहले तो हनुमानजी ने उनसे विनती की। इस विनम्रता का अर्थ है शांत चित्त से, बिना आवेश में आए समस्या को समझ लेना। जब सुरसा नहीं मानी और उसने अपना मुंह फैलाया। जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।। सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ। तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ।। उसने योजनभर (चार कोस में) मुंह फैलाया। तब हनुमानजी ने अपने शरीर को उससे दोगुना बढ़ा लिया। उसने सोलह योजन का मुख किया, हनुमानजी तुरंत ही बत्तीस योजन के हो गए। यह घटना बता रही है कि सुरसा बड़ी हुई तो हनुमानजी भी बड़े हुए। हनुमानजी ने सोचा कि ये बड़ी, मैं बड़ा, इस चक्कर में तो कोई बड़ा नहीं हो पाएगा। दुनिया में बड़ा होना है तो छोटा होना आना चाहिए। छोटा होन

हनुमान जी

हनुमान को अष्टचिरंजीवियों में से एक माना गया है। माना जाता है कि हनुमान जी के ध्यान से कई बाधांए कट जाती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए अष्टांग योग में बताए गए सभी आठ चरण महत्वपूर्ण हैं। अष्टांग योग के ध्यान से हमारा मन हमेशा प्रसन्न रहता है और सभी कार्य हम ठीक से कर पाते हैं।ध्यान के साथ ही श्रीराम के अनन्य भक्त पवनपुत्र हनुमानजी का स्मरण श्रेष्ठ परिणाम देता है। सभी जानते हैं कि हनुमानजी का ध्यान करने वाले भक्तों को ज्योतिष के अनुसार क्रुर बताए गए शनिदेव परेशान नहीं करते हैं। शनि संबंधी किसी भी प्रकार की बाधा होने पर हमें हनुमानजी का नित्य ध्यान करना चाहिए। हनुमानजी के ध्यान के लिए किसी भी शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान का चयन करें। अब किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठकर प्राणायाम की क्रिया प्रारंभ करें। मन शांत होने के बाद हनुमान चालिसा का जप करें। यदि आप हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर सकते तो निम्न पंक्ति का जप करें- सहसबदन तुम्हरो जस गावे। अस कहि श्रीपति कंठ लगावे।। इस पंक्ति का अर्थ यह है कि हनुमानजी श्रीराम के सेवा में लगे रहते हैं इसी वजह से सभी उनके यश का गान करते हैं और श

'हनुमान ध्यान मंत्र'

संकटमोचक हनुमान इन अहम सूत्रों को जीवन में उतारने के लिए आदर्श और प्रेरणा हैं। हनुमान चरित्र व भक्ति रामभक्ति द्वारा ईश्वर आस्था व ईश कृपा के साथ जीवन में संयम और नियम की अहमियत बताते हैं। यही कारण है कि शास्त्रों में संकटमुक्त जीवन के लिए हनुमान उपासना के दौरान भी मन और वातावरण में पावनता बनाए रखने के लिए विशेष हनुमान मंत्र के साथ पूजा की शुरुआत का महत्व बताया गया है। जानते हैं ये मंत्र विशेष - - स्नान व स्वच्छ वस्त्र पहनने के बाद देवालय में श्री हनुमान प्रतिमा के सामने नीचे लिखा मंत्र स्मरण कर श्री हनुमान को गंगाजल से स्नान व पंचोपचार पूजा व आरती संपन्न करें - मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमता वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणम् प्रपद्ये।।

हनुमान भक्ति

अगर जीवन को ही अच्छे आचरण, अनुशासन और संकल्पों से जोड़ लिया जाए तो फिर किसी भी कार्य की सफलता में भय, संशय पैदा नहीं होता। हनुमान भक्ति जीवन में अच्छे आचरण को अपनाने के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। शास्त्रों में हनुमान का स्मरण किसी भी वक्त अच्छे कामों व सोच की प्रेरणा ही देता है। इसलिए शास्त्रों में बताए गए एक मंत्र से हर रोज सुबह श्री हनुमान का स्मरण किया जाए तो लक्ष्य की सफलता को लेकर पैदा होने वाले भय-संशय व बाधाएं खत्म हो जाती हैं। जानते हैं यह मंत्र - - स्नान के बाद श्री हनुमान प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराने अष्टगंध, लाल चंदन, तिल का तेल और सिंदूर, सुपारी, नारियल, लाल फूलों की माला व गुड़ अर्पित करे। - यथासंभव लाल वस्त्र पहन उत्तर दिशा की ओर मुख कर लाल आसन पर बैठ सामने श्री हनुमान की तस्वीर रख नीचे लिखे मंत्र हनुमान स्वरूप का ध्यान कर सुखी, समृद्ध व संकटमुक्त जीवन की कामना से करें - उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकटरूचियुक्तंचारूवीरासनस्थं। मौंजीयज्ञोपवीतारूण रूचिर शिखा शोभितं कुंडलांकम्। भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनाद प्रमोदं। ध्यायेद्नित्यं विधेयं प्लवगकुलपतिगोष

भगवान श्री कृष्ण लीलाधर हैं

भगवान श्री कृष्ण लीलाधर हैं। उनकी हर लीला के पीछे एक समान जीवन सूत्र जरूर छिपा है और वह है- कर्म। गोकुल में ग्वालों के संग बाललीला हो या कुरूक्षेत्र में वीर योद्धा अर्जुन को गीता उपदेश द्वारा श्रीकृष्ण ने कर्म से जुड़े अनेक पहलुओं को ही सफल जीवन का सार बताया। ऐसे ही कर्मयोगी श्रीकृष्ण के ही परम भक्त हैं शनिदेव। शास्त्रों के मुताबिक शनि ने कृष्ण दर्शन के लिए घोर तप किया। तब कृष्ण ने मथुरा के पास कोकिला वन में प्रकट होकर आर्शीवाद दिया कि शनि भक्ति करने वाला हर व्यक्ति दरिद्रता, पीड़ा व संकटमुक्त रहेगा। असल में शनि भक्ति भी श्रीकृष्ण की भांति सार्थक कर्म, बोल व विचारों को अपनाने का संदेश देती है। क्योंकि माना जाता है कि अच्छे-बुरे कर्म व विचार ही शनि के दण्ड का आधार है। यही कारण है कि शनि की प्रसन्नता के लिए शनि दशाओं में श्रीकृष्ण भक्ति व स्मरण बहुत ही फलदायी होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के किसी भी मंत्र का स्मरण शनि कृपा से सफलता व सुख के लिए की गई हर कोशिशों की बाधाओं व अभावों को दूर करता है। इसलिए 15 नवम्बर से बदली हुई शनि दशा में हर राशि के व्यक्ति के लिए यहां बताए जा रहे श्रीकृष्

सोंठ का उपयोग

सोंठ कब्ज एवं कफवात नाशक, आमवात नाशक है। उदररोग, वातरोग, बावासीर, आफरा, आदि रोगों का नाश करती है। सोंठ में कफनाशक गुण होने के कारण यह खांसी और कफ रोगों में उपयोगी है। सोंठ का उपयोग प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है। सोंठ एक उष्ण जमीकंद हैं जो अदरक के रूप में जमीन से खोदकर निकाली जाती है और सुखाकर सोंठ बनती है। मनुष्य में जीने की शक्ति और रोगों से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती हैं। यह औषधी उत्तेजक, पाचक और शांतिकारक हैं। इसके सेवन से पाचन क्रिया शुद्ध होती है। सोंठ उष्ण होने से वायु के कुपित होने पर होने वाले रोगों को नष्ट करती है। आधा सिरदर्द- सोंठ का चंदन की घिसकर लेप करें। आंखों के रोग- सोंठ नीम के पत्ते या निंबोली पीसकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर गोलियां बना लें। गोली को मामूली गर्म कर आंखों पर बांधने से आंखों की पीड़ा कम होती है। कमरदर्द- कमरदर्द में सोंठ का चूर्ण आधा चम्मच दो कप पानी में उबालकर आधा कप रह जाए। तब छानकर ठंडाकर उसमें दो चम्मच अरण्डी तेल मिला क रोज रात को पीएं। उदर रोग- चार ग्राम सोंठ का काढ़ा बनाकर पिलाएं एवं साथ में अजवाइन की बनाकर पिलाएं। साथ में अजवाइन

सूर्य पूजा

पौराणिक मान्यता है कि सूर्य-शनि के पुत्र हैं। अपने पिता सूर्य के माता छाया से विपरीत व्यवहार से आहत मातृभक्त शनि की पिता से शत्रुता हुई। तब शनिदेव ने शिव भक्ति से शक्ति संपन्न होकर नवग्रहों में उच्च पद व दण्डाधिकार पाया। 15 नवंबर से शनि चाल बदलकर कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश कर सूर्य के साथ योग बनाएगा। हालांकि शनि का उच्च राशि तुला में सूर्य साथ यह संयोग अमंगलकारी नहीं माना जा रहा। किंतु सूर्य-शनि के स्वाभाविक बैर के चलते यह निष्कंटक भी नहीं होगा। यही कारण है कि शनि की साढ़े साती, ढैय्या से प्रभावित राशि वालों के लिए शनि भक्ति के साथ ही बिन बाधा सफलता, स्वास्थ्य, सम्मान व यश पाने के लिए सूर्य ग्रह के सरल मंत्रो का जप करना बड़ा ही शुभ होगा। ये सरल सूर्य मंत्र शनि की पीड़ाओं की गाज से भी बचाने वाले माने गए हैं। जानते हैं ये सूर्य मंत्र व सूर्य पूजा की आसान विधि - - नवग्रह मंदिर में सूर्य देव को लाल चंदन मिले गंगा जल या पवित्र जल से स्नान कराएं। - स्नान के बाद सूर्य देव का लाल चंदन, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल फूल या कमल चढ़ाएं। गुड़ या गुड़ से बने पकवान का भोग लगाकर लाल आसन पर

घर में रखें बांसूरी

घर में सुख-समृद्धि बनी रहे इसके लिए सभी कई प्रकार के उपाय करते हैं। कुछ उपाय धर्म से संबंधित होते हैं तो कुछ ज्योतिष के और कुछ वास्तु से संबंधित। इन सभी उपायों को अपनाने से संभवत: घर से नेगेटिव ऊर्जा दूर हो जाती है। यदि आपके घर में कुछ नेगेटिव हो रहा है तो यह परंपरागत उपाय अपनाएं। पुराने समय से ही घर में सुख-समृद्धि और धन की पूर्ति बनाए रखने के लिए एक सटीक परंपरागत उपाय अपनाया जाता रहा है। यह उपाय है घर में बांसूरी रखना। जिस घर में बांसूरी रखी होती है वहां के लोगों में परस्पर तो बना रहता है साथ ही श्रीकृष्ण की कृपा से सभी दुख और पैसों की तंगी भी दूर हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार बांसूरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। वे सदा ही इसे अपने साथ ही रखते हैं। इसी वजह से इसे बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण जब भी बांसूरी बजाते तो सभी गोपियां प्रेम वश प्रभु के समक्ष जा पहुंचती थीं। बांसूरी से निकलने वाला स्वर प्रेम बरसाने वाला ही है। इसी वजह से जिस घर में बांसूरी रखी होती है वहां प्रेम और धन की कोई कमी नहीं रहती है। सामान्यत: घर में बांस की

आवंला

आंवले को आयुर्वेद में गुणों का फल माना गया है। चाहे आवंला स्वाद में कड़वा और कसैला हो लेकिन आंवला विटामिन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसीलिए हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस फल को पूज्यनीय माना गया है। इसकी छांव में बैठकर खाने से भी अनेक रोग दूर होते हैं। कहते हैं एक आंवले में 3 संतरों के बराबर विटामिन की मात्रा होती है। आवंला खाने से सबसे अच्छा प्रभाव बालों और त्वचा पर पड़ता है। आंवला खाने से लीवर को शक्ति मिलती है जिससे लीवर हमारे शरीर में से विषैले पदार्थों को शरीर में से आसानी से बाहर निकाल देता है। आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है। आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है। साथ ही आंवले का स्वादिष्ट मुरब्बा ताकत देने वाला होता है। आंवले का चूर्ण मूली में भरकर खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं वो ताजा आंवला का रस शहद में मिलाकर पीने के बाद ऊपर से दूध पियें इससे स्वास्थ अच्छा रहता है। दिन भर प्रसन्नता का अनुभव होता है। आंवले का जूस पीने के भी बहुत से फायदे हैं पेट से जुड़ी सारी समस्याएं मिट जाती हैं। इसके नियम

Kitaben Davaiyan Aur Kapde

On 14th of November 2011 at the occasion of "Children's Day" between 1 PM to 2 PM. we are going to conduct a program at Jila Panchayat Office near SSP office Mathura. In Support with Dainik Hindustan News paper, Mathura. Where we will give clothes, toys, chocolates, biscuits to small orphan kids and mentally challenged kids. We would request you to come forward and help them and bring smile to their faces this "Children's Day" Thanks Kitaben Davaiyan Aur Kapde NGO, Mathura

Kitaben Davaiyan Aur Kapde

We are not asking for any amounts to be spared. We are simply requesting old clothing to help others during times of crisis. A short trip to your wardrobe can provide you with that extra amount of baggage that lies crumpled in your closet. Those few unnecessary excess clothes that are in your closet can prove to be good commodities that can be given to charity. And can bring smile to people who are in need of those clothes this winter....!! On 14th of November "Children's Day" we are planing to keep this cause specially for children's.. So we would request you to come forward and donate your old clothes. https://www.facebook.com/clothesforall

Kitaben Davaiyan Aur Kapde

भारत में लाखों परिवार भोजन, कपड़े, और आश्रय जैसी आवश्यकताओं के लिए तरस जाते हैं, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले भारतीयों को किताबें, दवाइयां और कपडे जैसी सुविधाएँ तो बहुत मुश्किल से मिल पाती हैं, हमारा संकल्प यह है की हर उस इंसान को हम कपडे और जरूरत की चीज़ें पहुंचाते रहें जो की जरूरत मंद हैं, आप भी इस महा दान का एक हिस्सा बन सकते हैं ,हमे सिर्फ अपने पुराने कपड़े उन लोगों तक पहुँचाने हैं जिनको की इन सर्दियों में उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह सही हाथों तक पहुँचता है. कृपया अपने पुराने कपड़ों का संग्रह शुरू कर दें और हमें बताएं अगर आप उन कपड़ों को दान करने में सहमत हैं... तो अपनी सहमति पेज पर दर्ज करें.... हमारा उद्देश्य मुस्कुराओ और प्यार फैलाओ..... https://www.facebook.com/clothesforall

शास्त्रों में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है

शास्त्रों में गाय को माता कहा है। गाय एक बहुपयोगी पशु है जो कि कई रूपों में फायदेमंद भी है। पुराने समय में सभी के घरों में गाय अनिवार्य रूप से होती थी। आज भी गांव में रहने वाले या ग्रामीण परिवेश से संबंधित लोगों के यहां गाय रहती है। प्राचीन काल से गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। गाय बहुत ही पवित्र और पूजनीय मानी गई है। ऐसा माना जाता है कि गाय की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त हो जाती है। इसी वजह से आज भी गाय को पूजा जाता है। पहले गाय को घर में रखना अनिवार्य था इसके पीछे कई कारण हैं। - गाय जहां रहती है वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय नहीं हो पाती और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती रहती है। - गाय से निकलने वाली गंध से वातावरण में मौजूद कई हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। - गाय का दूध भी कई बीमारियों में औषधि का ही काम करता है। - गाय को घर में रखने से सभी प्रकार के ज्योतिष दोष और वास्तु दोष भी नष्ट हो जाते हैं। - गाय का मूत्र कई बीमारियों में औषधि के रूप काम लिया जाता है। - गौमूत्र से कैंसर का इलाज हो जाता है। गाय के प्रभाव में रहने वाले व्यक्ति को कभी ऐसी कोई

'Clothes For all Cause' Special Thanks!

Image
‎''Clothes For all Cause" Special Thanks to small Kids of Li'l Squirrels Public School, Mathura and I appreciate the management of the school in helping us to motivate there School kidz to donate there old clothes So that we can bring smile to few faces. मथुरा, किताबें दवाइयां और कपडे, यह एक अधभुत कांसेप्ट है, जिसके तहत बेकार पड़ी काम की चीज़ों को जरूरतमंदों को दिया जाता है, आज मथुरा में जिसका अभियान लिटल स्कुरेल स्कूल से शरू किया गया . संस्था "किताबें दवाइयां और कपडे " के कार्यकर्ताओं के आह्वान पर राष्ट्रीय राजमार्ग २ के पास लिटल स्कुरेल स्कूल के बच्चों ने आपने - आपने घरों से गरम कपडे , उनी कपडे, साड़ियाँ, छोटे बच्चों के कपडे इकठे किये, बच्चों का मनोबल बढ़ने के लिए संस्था के कार्यकर्ताओं ने कॉपी, किताभ, पेन और पार्ले जी बिस्कुट का भी चंदनवन व रेलवे कालोनी स्थित झुग्गियों में गरीबों को वितरण किया.

अनार में छुपे गुण

अनार का हर एक छोटा दाना कई गुणों से भरपूर होता है। अनार सौ बीमारियों की एक दवा है अनार। इसका रस अगर कपडों पर लग जाये तो यह असानी नही छूटता। मगर अनार खाकर आप अपनी कई बिमारियों को दूर कर सकते हैं।अनार कई रोगों में गुणकारी है। मीठे अनार तृषा, पित्तनाशक, कृमि का नाश करने वाला, पेट रोगों के लिए हितकारी तथा घबराहट को दूर करने वाला होता है। अनार स्वरतंत्र, फे फड़े, यकृत, दिल, आमाशय तथा आंतों के रोगों पर काफी लाभकारी है। अनार में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटी-ट्यूमर जैसे तत्व पाये जाते हैं। अनार विटामिन्स का एक अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है। अनार दिल के रोगों से लेकर पेट की गड़बड़ी और मधुमेह जैसे रोगों में फायदेमंद होता है। अनार का छिलका, छाल और पत्तियों को लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है। पाचन तंत्र के सभी समस्याओं के निदान में अनार कारगर है। अनार की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में भी बहुत आराम मिलता है। दस्त और कॉलरा जैसी बीमारियों में अनार का जूस पीने से राहत मिलती है। मधुमेह के रोगियों को अनार खाने की सलाह दी जाती है इ

आपके आस पास ही है शनि देव

राशि बदलने से पहले शनि देव खुद रूप बदलकर आपके पास आएंगे। जिन लोगों को साढ़ेसाती, ढैय्या शुरू होने वाली है या शनि की नजर लगने वाली है। ऐसे लोग चौकन्ने रहें क्योंकि आपको सावधान करने अब शनि देव खुद आपके पास आ सकते हैं। जब जब शनि राशि बदलते हैं तब तब खुद रूप बदलकर आते हैं। शनि देव किसी भी रूप में आपके पास आ सकते हैं। अब आपको पहचानना है कि कौन से रूप में आपके पास आएंगे। जानें कैसे हो सकते हैं शनि देव- - शनि का रंग काला है। अगर अचानक कोई काला आदमी आपसे मिले और आपको नेक रास्ते पर चलने को कहे तो समझना कि वो शनि देव हैं। - ज्योतिष के अनुसार शनि देव लंगड़े है यदि कोई लंगड़ा व्यक्ति या कोई अपंग आपसे मिले और भलाई की बात करे तो समझना शनि देव आए हैं। - कोई अंधा व्यक्ति आपसे मदद मांगे या ज्ञान की बात कहें तो आपको समझना चाहिए शनि देव हैं। - अगर कोई बड़ी दाड़ी का बूढ़ा व्यक्ति आपसे मिले तो उसकी मदद जरूर करें वो शनि का ही रूप हो सकते हैं। - शनि गरीब वर्ग का प्रतिनिधि होता है और यदि गरीब वर्ग से आपको कोई हानि हो या किसी गरीब से लड़ाई-झगड़ा हो तो सावधान रहें । - थका हुआ, हर काम धीरे

पीपल के पेड़ का महत्व

पेड़-पौधे वातावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। इन्हीं से हमें प्राण वायु ऑक्सीजन भी प्राप्त होती हैं। विज्ञान में तो पेड़-पौधों का काफी अधिक महत्व है लेकिन ज्योतिष शास्त्र में भी इनका महत्व बताया गया है। सभी ग्रहों के अलग-अलग वृक्ष बताए गए हैं। इन वृक्षों को जल चढ़ाने से संबंधित ग्रह के दोषों का निवारण हो जाता है। ऐसी परंपरा है कि प्रतिदिन पीपल के पेड़ को जल चढ़ाना चाहिए। पीपल का पेड़ अन्य पेड़ों की तुलना सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में पीपल के पेड़ को दैवीय वृक्ष माना है। इस वृक्ष में कई देवी-देवताओं का वास होता है। इसी वजह से पीपल को सबसे पवित्र और पूजनीय वृक्ष माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार पीपल के वृक्ष पर नियमित रूप से जल चढ़ाने से व्यक्ति के समस्त शनि दोषों का निवारण होता है। शनि देव इस वृक्ष पर जल चढ़ाने वाले भक्तों से अति प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए पीपल का वृक्ष सर्वश्रेष्ठ उपाय है। यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाता है तो उसे शनि का कोप झेलना पड़

भगवान श्रीराम स्वयं आएंगे

शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु इस सृष्टि के पालनहार हैं और जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, पाप अत्यधिक बढऩे लगता है तब भगवान श्रीहरि धरती पर अवतार लेते हैं। भगवान का अवतार ही धरा से समस्त पापियों का नाश करता है। अभी भगवान विष्णु के नौ मुख्य अवतार हो चुके हैं, ऐसी मान्यता है। इन्हीं नौ प्रमुख अवतारों में से एक है भगवान श्रीराम। श्रीराम अपने भक्तों को सभी सुख प्रदान करने वाले देवता हैं। इनकी भक्ती मात्र से ही किसी भी व्यक्ति के समस्त दुख और कष्ट स्वत: ही शांत हो जाते हैं। प्राचीन काल से ही भगवान श्रीराम के दर्शन प्राप्त करने के लिए कई भक्तों द्वारा कठिन तप किया जाता रहा है। भगवान के दर्शन प्राप्त करने का शास्त्रों में एक सबसे सरल मार्ग बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति रामायाण या श्रीरामचरित मानस का पाठ 108 बार कर लेता है उसे भगवान श्रीराम दिखाई देने लग जाते हैं। इस दौरान का भक्त का मन पूरी तरह भगवान श्रीराम में ही लगा होना चाहिए। अन्य बातों से हटकर जब किसी व्यक्ति का मन केवल भगवान श्रीराम में लग जाता है तो निश्चित ही वह प्रभु के दर्शन अवश्य प्राप्त कर सकता है। संभव है
A man dies and goes to hell. There he finds that there is a different hell for each country. He goes to the German hell and asks, "What do they do here?" He told, "First they put you in an electric chair for An hour. Then they lay you on a bed of nails for another hour. Then The German devil comes in and beats you for the rest of the day." The man does not like the sound of that at all,so he moves on. He checks out the USA hell as well as the Russian hell and many more. He discovers that they are all more or less the same as the German hell. Then he comes to the Indian hell and finds that there is a long line of people waiting to get in. Amazed, he asks, "What do they do here?" He told, "First they put you in an electric chair for an hour. Then they lay you on a bed of nails for another hour. Then the Indian devil comes in and beats you for the rest of the day." "But that is exactly the same as all the other hells

कर देगी जानलेवा डायबिटीज को कंट्रोल

हल्दी में अनेक तरह के गुणों का खजाना है। इसीलिए हल्दी का उपयोग पुराने समय से ही भारत में भोजन में नियमित रूप से किया जाता रहा है। इसका कारण यह है कि हल्दी में वातनाशक का गुण भी पाया जाता है।आयुर्वेद में भी हल्दी को कई रोगों की एक रामबाण दवा माना गया है। हल्दी रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषकर डायबिटीज के रोगियों के लिए हल्दी का उपयोग संजीवनी की तरह काम करता है। आयुर्वेद में यह माना गया है कि हल्दी से मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो और यहां तक की गर्भवती महिला ही क्यों न हो। हल्दी में प्रोटीन,वसा खनिज पदार्थ एरेशा, फाइबर, मैंगनीज, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम,फास्फोरस, लोहा, ओमेगा, विटामिन ए, बी, सी के स्रोत तथा कैलोरी भी पाई जाती है। माना जाता है कि मधुमेह की रोकथाम के लिए हल्दी सबसे अच्छा इलाज है। रोज आधा चम्मच हल्दी लेकर डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। मधुमेह के रोगियों को रोजाना ताजे आंवले के रस या सूखे आंवले के चूर्ण में हल्दी का चूर्ण मिलाकर

Even God has a Sense of Humour

God was in the process of creating the universe. And he was explaining to his subordinates "Look everything should be in balance. For example, after every 10 deer there should be a lion. Look here my fellow angels, here is the country of the United States. I have blessed them with prosperity and money. But at the same time I have given them insecurity and tension.... And here is Africa. I have given them beautiful nature. But at the same time, I have given them climatic extremes. And here is South America. I have given them lots of forests. But at the same time, I have given them lesser land so that they would have to cut off the forests... So you see fellows, everything should be in balance. One of the angels asked... "God, what is this extremely beautiful country here?" God said....... "Ahah...that is the crown piece of all. "INDIA", My most precious creation. It has understanding and friendly People. Sparkling streams and se

STORY OF AN INDIAN SOFTWARE ENGINEER

A Bitter Reality........... As the dream of most parents I had acquired a degree in Software Engineering and joined a company based in USA, the land of braves and opportunity. When I arrived in the USA, it was as if a dream had come true. Here at last I was in the place where I want to be. I decided I would be staying in this country for about Five years in which time I would have earned enough money to settle down in India. My father was a government employee and after his retirement, the only asset he could acquire was a decent one bedroom flat. I wanted to do some thing more than him. I started feeling homesick and lonely as the time passed. I used to call home and speak to my parents every week using cheap international phone cards. Two years passed, two years of Burgers at McDonald's and pizzas and discos and 2 years watching the foreign exchange rate getting happy whenever the Rupee value went down. Finally I decided to get marri
Image
Clothes For all Cause..... People Kindly Come forward and Donate...!! Bring Smile to few faces this Winter.. A smile is a best thing which we can give to someone who is less fortunate....!! We are starting a Campaign to donate old clothes to the people who are in need..!!! So people come forward and Join us and donate your old clothes and bring smile to few faces..!! We will Start from Mathura the Birth place of Lord Krishna and soon will promote the Cause in all the cities of India...
Image
On 9th of November 2011, We will start our cause "Clothes for All" from Li'l Squirrels Public School (Mathura) A-200-202, SHAH KUNJ, Infront of Somnath Marriage home, NH 2, Mathura, India 281005 Where small kids will donate there old clothes for the people who are in need this winter.... And will bring smile to few faces... so if they can do it then y can't we..??
Image
छज्जू लाये खाट के पाये, मार मार लट्ठअन धूर कर आये......कंस वध की सभी को बहुत - बहुत शुभकामनाये..!

बचा सकते हैं हनुमानजी

अभी कुछ ही दिनों बाद ज्योतिष के अनुसार सबसे शक्तिशाली और प्रभावी ग्रह शनि राशि बदलेगा। शनि 15 नवंबर को कन्या राशि से तुला में जाएगा। अत: शनि के राशि बदलने से सभी राशि वाले लोगों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। शनि की स्थिति बदलने से आप पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े इसके लिए हनुमानजी की आराधना सर्वश्रेष्ठ उपाय है। हनुमानजी की भक्ति करने वाले भक्तों को शनि अशुभ फल प्रदान नहीं करता है। इसी वजह प्रति मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। आपकी राशि जो भी हो, यह उपाय सभी के लिए श्रेष्ठ है। कुछ ही मिनट की ये उपासना आपको शनि के अशुभ प्रभावों से बचा लेगी। हनुमानजी की भक्ति का सर्वोत्तम और सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का जप। प्रतिदिन कुछ समय श्रीरामजी के अनन्य भक्त पवनपुत्र हनुमानजी का ध्यान करने से जीवन खुशियोंभरा हो जाता है। यहां हनुमान चालीसा दी जा रही है जिसका जप आप किसी भी समय कर सकते हैं। मन को शांति मिलेगी। हनुमान चालिसा दोहा- श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥ बुध्दिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या

किताबें, दवाइयां और कपडे

Would you like to make a significant difference by contributing a big share in charity related programs that can effect your community and your world? Then start donating now. Donation of used clothes (preferably in good condition) can help needy people. With a dramatic increase in devastation all over the world, there are a multitude of people in need physically, spiritually and emotionally. You can help them physically by supplying clothing which can benefit those in need with proper clothes and help those that have no clothing. We are not asking for huge amounts to be spared. We are simply requesting clothing to help others during times of crisis. A short trip to your wardrobe can provide you with that extra amount of baggage that lies crumpled in your closet. Those few unnecessary excess clothes that are in your closet can prove to be good commodities that can be given to charity. So gear up and donate to charity at least some times. It is not every time in our lives that we have

किताबें, दवाइयां और कपडे

Kitaben Davaiyan Aur Kapde भारत में लाखों परिवार भोजन, कपड़े, और आश्रय जैसी आवश्यकताओं के लिए तरस जाते हैं, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले भारतीयों को किताबें, दवाइयां और कपडे जैसी सुविधाएँ तो बहुत मुश्किल से मिल पाती हैं, हमारा संकल्प यह है की हर उस इंसान को हम कपडे और जरूरत की चीज़ें पहुंचाते रहें जो की जरूरत मंद हैं, आप भी इस महा दान का एक हिस्सा बन सकते हैं ,हमे सिर्फ अपने पुराने कपड़े उन लोगों तक पहुँचाने हैं जिनको की इन सर्दियों में उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह सही हाथों तक पहुँचता है. कृपया अपने पुराने कपड़ों का संग्रह शुरू कर दें और हमें बताएं अगर आप उन कपड़ों को दान करने में सहमत हैं... तो अपनी सहमति पेज पर दर्ज करें.... हमारा उद्देश्य मुस्कुराओ और प्यार फैलाओ..... Facebook Page https://www.facebook.com/clothesforall
बलि ने जहां दान अनेक किये , ध्रुव ने तप कीं वहै मथुरा ! जहां सात रिसी मिलि जाग किये , तपभूमि बनी तबते मथुरा !! विरजा सखि ने विश्राम लियौ ,विरजा बृज हैं बृज यों मथुरा ! प्रगटे जहां केसव वौ मथुरा , जाग पावन हैं धन हैं मथुरा !!

एक बोध कथा

एक बोध कथा जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय " हमें याद आती है । दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ... उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ... आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये h धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये , फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था

Radhakunda early morning.....

Image
Radhakunda early morning.....

श्रीमद्भागवत पुराण

इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय पुराण है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में वेदों, उपनिषदों तथा दर्शन शास्त्र के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश कहना अधिक समीचीन होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं। इस पुराण में सकाम कर्म, निष्काम कर्म, ज्ञान साधना, सिद्धि साधना, भक्ति, अनुग्रह, मर्यादा, द्वैत-अद्वैत, द्वैताद्वैत, निर्गुण-सगुण तथा व्यक्त-अव्यक्त रहस्यों का समन्वय उपलब्ध होता है। 'श्रीमद्भागवत पुराण' वर्णन की विशदता और उदात्त काव्य-रमणीयता से ओतप्रोत है। यह विद्या का अक्षय भण्डार है। यह पुराण सभी प्रकार के कल्याण देने वाला तथा त्रय ताप-आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक आदि का शमन करता है। ज्ञान, भक्ति और वैरागय का यह महान ग्रन्थ है। इस पुराण में बारह स्कन्ध हैं, जिनमें विष्णु के अवतारों का ही वर्णन है। नैमिषारण्य में शौनकादि ऋषियों क

सांई के 5 सूत्र

धर्मशास्त्रों में गुरु को साक्षात् ईश्वर का दर्जा दिया गया है। क्योंकि गुरु ही ज्ञान, बुद्धि और विवेक द्वारा शिष्य को उसकी गुण और शक्तियों से पहचान कराते हैं। जिसके द्वारा बेहतर, सफल व आदर्श जीवन बनाना संभव होता है। धर्म व आध्यात्मिक नजरिए से भी गुरु कृपा ही मन, वचन व कर्म में देवीय गुणों को जगाकर ईश्वर से मिलन की शक्ति भी देती है। सांई बाबा ऐसे ही जगतगुरु के रूप में पूजनीय है। हिन्दू धर्म मान्यताओं में वह गुरु दत्तात्रेय का अवतार भी माने जाते हैं, जिन्होंने प्रकृति की हर रचना में गुरु के दर्शन किए और 24 गुरुओं से शिक्षा ग्रहण की, जिनमें प्राणी, वनस्पति शामिल थे। ऐसे ही महायोगी और महागुरु स्वरूप सांई चरित्र में जीवन में सफलता और ऊंचा मुकाम पाने के अनेक सूत्र हैं, जो धर्म पालन के नजरिए से भी अहम माने गए हैं। जानते हैं ये सूत्र - प्रेम - सांई बाबा ने सुखी जीवन के लिए प्रेम भाव को सबसे अहम माना। यही कारण है कि धर्म, छोटे-बड़े, ऊंच-नीच की भावना से परे रहकर बोल, कार्य और व्यवहार प्रेम को स्थान देने की सीख दी। क्योंकि प्रेम ही विश्वास का आधार है, जो मन ही नहीं, व्यक्तियों को भी जोड़कर र

कलियुग

शास्त्रों के अनुसार चार युग बताए गए हैं। ये चार युग हैं सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग। अभी तक तीन युग समाप्त हो चुके हैं और अब कलियुग चल रहा है। ऐसी मान्यता है कि कलियुग के अंतिम समय में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। इसके बाद ही सृष्टि का विनाश होगा। श्रीमद्भागवत के अनुसार जब पांडवों द्वारा स्वर्ग की यात्रा प्रारंभ की गई तब वे समस्त राज्य और प्रजा के भरण-पोषण और सुरक्षा का भार परिक्षित को सौंप गए। राजा परिक्षित के जीवन में ही द्वापर युग की समाप्ति हुई और कलियुग का प्रारंभ हुआ। कथा के अनुसार जब कलियुग का आगमन हुआ तब चारों ओर पाप, अत्याचार और अधर्म बढऩे लगा। इस प्रकार बढ़ते कलियुग के प्रभाव को समाप्त करने के लिए राजा परिक्षित कलियुग को नष्ट करने के लिए धनुष पर बाण चढ़ा लिया। जब कलियुग को ऐसा प्रतीत हुआ कि राजा परिक्षित से जीतना संभव नहीं है। अत: उसने राजा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और खुद के निवास करने के लिए स्थान मांगा। इस प्रकार अपनी शरण में कलियुग को परिक्षित ने पांच स्थान बताए जहां कलियुग को निवास करना था। ये स्थान हैं- झूठ, मद, काम, वैर और रजोगुण। इन पांच स्थानों का

कृष्ण जाम्बवन्त युद्ध

एक बार क􀈧 बात है , एक बार सत्रािजत ने भगवान सूयर् क􀈧 उपासना करके उनसे स्यमन्तक म􀍨ण प्राप्त क􀈧। उस म􀍨ण का प्रकाश भगवान सूयर् के समान ह􀈣 था। एक 􀇑दन भगवान कृष्ण जब चौसर खेल रहे थे तभी सत्रािजत उस म􀍨ण को पहन कर उनके पास आया। दूर से उसे आते देख कर यादव􀉉 ने कहा, "हे कृष्ण! आपके दशर्न􀉉 के 􀍧लये सा􀂢ात् सूयर् भगवान या अिग्नदेव चले आ रहे ह􀉇।" इस पर श्री कृष्ण हँस कर बोले, "हे यादव􀉉! यह सत्रािजत है, उसने सूयर् भगवान से प्राप्त स्यमन्तक म􀍨ण को पहन रखा है इसी 􀍧लये वह तेजोमय हो रहा है।" उसी समय सत्रािजत वहाँ पर आ पहुँचा। सत्रािजत को देखकर उन यादव􀉉 ने कहा, "अरे सत्रािजत! तेरे पास यह अलौ􀍩कक 􀇑दव्य म􀍨ण है। अलौ􀍩कक सुन्दर वस्तु का अ􀍬धकार􀈣 तो राजा होता है। इस􀍧लये तू इस म􀍨ण को हमारे राजा उग्रसेन को दे दे।" 􀍩कन्तु सत्रािजत यह बात सुन कर 􀇒बना कुछ उत्तर 􀇑दये ह􀈣 वहाँ से उठ कर चला गया। सत्रािजत ने स्यमन्तक म􀍨ण को अपने घर के एक देव मिन्दर म􀉅 स्था􀍪पत कर 􀇑दया। वह म􀍨ण 􀇓नत्य उसे आठ भार सोना देती थी। िजस स्थान म􀉅 वह म􀍨ण होती थी वहाँ के सारे कष्ट स्वयं ह

दुर्घटना से बचने के उपाय

जन्म कुंडली के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। विद्वान पंडित कुंडली देखकर यह भी बता सकते हैं कि किन ग्रहों के कारण कौन सा समय व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है। ग्रहों के योग देखकर किसी दुर्घटना की पूर्व जानकारी के बारे में भी पता चल जाता है। यदि आपकी कुंडली में भी दुर्घटना के योग बन रहे हैं तो नीचे लिखे उपाय करने से होने वाले अनिष्ट को रोका या कम किया जा सकता है। दुर्घटना से बचने के उपाय - महामृत्युंजय मंत्र का जप प्रत्येक अनिष्ट दूर करने वाला है। - शनिवार को छाया दान करना हितकारी है। - विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन जप लाभदायक है। - सोना दान, गौ दान करने से भी अनिष्ट की शांति होती है। - पुखराज धारण करना भी ग्रह योगानुसार दुर्घटना से बचाता है। - जो ग्रह 6/8/11 भाव से संबंधित अनिष्ट कारक हो, उनका पत्थर पहनने से अनिष्ट टल जाता है। - भूखे पशुु को चारा खिलाना और पक्षियों, मछलियों को भोजन कराने से भी ग्रहों की शांति होती है। इन उपायों को करने से दुर्घटना के योग टल सकते हैं।

गोवर्धन पूजा का माहात्म्य

Image
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 27 अक्टूबर, गुरुवार को है। आईए जानते हैं गोवर्धन पूजा का माहात्म्य- हमारे कृषि प्रधान देश में गोवर्धन पूजा जैसे प्रेरणाप्रद पर्व की अत्यंत आवश्यकता है। इसके पीछे एक महान संदेश गो यानी पृथ्वी और गाय दोनों की उन्नति तथा विकास की ओर ध्यान देना और उनके संवर्धन के लिए सदा प्रयत्नशील होना छिपा है। अन्नकूट का महोत्सव भी गोवर्धन पूजा के दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाया जाता है। यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का पर्व यूं तो अति प्राचीनकाल से मनाया जाता रहा है, लेकिन आज जो विधान मौजूद है वह भगवान श्रीकृष्ण के इस धरा पर अवतरित होने के बाद द्वापर युग से आरंभ हुआ है। उस समय जहां वर्षा के देवता इंद्र की ही उस दिन पूजा की जाती थी, वहीं अब गोवर्धन पूजा भी प्रचलन में आ गई है। धर्मग्रंथों में इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि आदि देवताओं की पूजा करने का उल्लेख मिलता है। उल्लेखनीय है कि ये पूजन पशुधन व अन्न आदि के भंडार के लिए किया जाता है। बालखिल्य ऋषि का