बलि ने जहां दान अनेक किये , ध्रुव ने तप कीं वहै मथुरा ! जहां सात रिसी मिलि जाग किये , तपभूमि बनी तबते मथुरा !! विरजा सखि ने विश्राम लियौ ,विरजा बृज हैं बृज यों मथुरा ! प्रगटे जहां केसव वौ मथुरा , जाग पावन हैं धन हैं मथुरा !!

Comments

Popular posts from this blog

Chaturvedis' of Mathura

आम की लकड़ी का स्वस्तिक

Lord Krishna's Children