शिवजी का अभिषेक

भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना जाता है। इसीलिए शास्त्रों में बताया गया है कि जल व पंचामृतधारा से शिवजी का अभिषेक करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। अभिषेक करते समय ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में दिये गए मंत्र बोले जाते हैं। रूद्राष्टाध्यायी मंत्रों का भी उल्लेख मिलता है। जल में दूध मिला कर अथवा केवल दूध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। लेकिन हर धारा से अभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है। इसीलिए अलग-अलग वस्तुओं की धारा से शिवजी का अभिषेक किया जाता है। कहते हैं भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मूर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है। जल की धारा: जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न कामनाओं की पूर्ति होती है। घृत घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है। इत्र की धारा से भोग की वृद्धि होती है। शहद से टी बी रोग का नाश होता है। ईख से आनंद की प्राप्ति होती है। गंगाजल से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए माना जाता है कि सावन में सारे सुखों की प्राप्ति के लिए इन छ: चीजों से शिवजी का अभिषेक जरूर करना चाहिए

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