सूर्य पूजा
पौराणिक मान्यता है कि सूर्य-शनि के पुत्र हैं। अपने पिता सूर्य के माता छाया से विपरीत व्यवहार से आहत मातृभक्त शनि की पिता से शत्रुता हुई। तब शनिदेव ने शिव भक्ति से शक्ति संपन्न होकर नवग्रहों में उच्च पद व दण्डाधिकार पाया।
15 नवंबर से शनि चाल बदलकर कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश कर सूर्य के साथ योग बनाएगा। हालांकि शनि का उच्च राशि तुला में सूर्य साथ यह संयोग अमंगलकारी नहीं माना जा रहा। किंतु सूर्य-शनि के स्वाभाविक बैर के चलते यह निष्कंटक भी नहीं होगा।
यही कारण है कि शनि की साढ़े साती, ढैय्या से प्रभावित राशि वालों के लिए शनि भक्ति के साथ ही बिन बाधा सफलता, स्वास्थ्य, सम्मान व यश पाने के लिए सूर्य ग्रह के सरल मंत्रो का जप करना बड़ा ही शुभ होगा। ये सरल सूर्य मंत्र शनि की पीड़ाओं की गाज से भी बचाने वाले माने गए हैं। जानते हैं ये सूर्य मंत्र व सूर्य पूजा की आसान विधि -
- नवग्रह मंदिर में सूर्य देव को लाल चंदन मिले गंगा जल या पवित्र जल से स्नान कराएं।
- स्नान के बाद सूर्य देव का लाल चंदन, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल फूल या कमल चढ़ाएं। गुड़ या गुड़ से बने पकवान का भोग लगाकर लाल आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ नीचे लिखे सूर्य मंत्रो का स्मरण करें या कम से कम 108 बार यश व सफलता की कामना से जप करें -
ऊँ मार्तण्डाय नम:
ऊँ दिवाकराय नम:
ऊँ विधात्रे नम:
ऊँ भास्कराय नम:
ऊँ तपनाय नम:
- अंत में धूप, दीप आरती करें व सूर्य प्रतिमा की संकटमोचन की कामना से परिक्रमा करें।
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