सांई के 5 सूत्र
धर्मशास्त्रों में गुरु को साक्षात् ईश्वर का दर्जा दिया गया है। क्योंकि गुरु ही ज्ञान, बुद्धि और विवेक द्वारा शिष्य को उसकी गुण और शक्तियों से पहचान कराते हैं। जिसके द्वारा बेहतर, सफल व आदर्श जीवन बनाना संभव होता है। धर्म व आध्यात्मिक नजरिए से भी गुरु कृपा ही मन, वचन व कर्म में देवीय गुणों को जगाकर ईश्वर से मिलन की शक्ति भी देती है।
सांई बाबा ऐसे ही जगतगुरु के रूप में पूजनीय है। हिन्दू धर्म मान्यताओं में वह गुरु दत्तात्रेय का अवतार भी माने जाते हैं, जिन्होंने प्रकृति की हर रचना में गुरु के दर्शन किए और 24 गुरुओं से शिक्षा ग्रहण की, जिनमें प्राणी, वनस्पति शामिल थे।
ऐसे ही महायोगी और महागुरु स्वरूप सांई चरित्र में जीवन में सफलता और ऊंचा मुकाम पाने के अनेक सूत्र हैं, जो धर्म पालन के नजरिए से भी अहम माने गए हैं। जानते हैं ये सूत्र -
प्रेम - सांई बाबा ने सुखी जीवन के लिए प्रेम भाव को सबसे अहम माना। यही कारण है कि धर्म, छोटे-बड़े, ऊंच-नीच की भावना से परे रहकर बोल, कार्य और व्यवहार प्रेम को स्थान देने की सीख दी। क्योंकि प्रेम ही विश्वास का आधार है, जो मन ही नहीं, व्यक्तियों को भी जोड़कर रखता है।
संयम - सांई के श्रद्धा-सबूरी के अहम सूत्रों में संयम और समर्पण का सूत्र छुपा है, जो सांसारिक जीवन की सफलता के लिए बहुत जरूरी है। धर्मशास्त्र भी धर्म पालन के लिए इंद्रिय संयम का महत्व बताते हैं। सांई के इन सूत्रों में संकेत हैं हर कार्य में श्रद्धा या समर्पण और धैर्य के साथ शक्ति व ऊर्जा का उपयोग कर सफलता की राह आसान बनाई जा सकती है।
ईश्वर के प्रति प्रेम व विश्वास - सबका मालिक एक का सूत्र ईश्वर की एकात्मता का ही संदेश ही नहीं देता बल्कि इसमें धर्म के बंधनों से मुक्त होकर इंसानी भावनाओं व रिश्तों को सर्वोपरि रखने की सीख है। इसमें सफलता के लिए कर्म के साथ ईश्वर भक्ति और शक्ति पर विश्वास रखने की प्रेरणा है।
परोपकार व दया - सांई चरित्र में मानवता का भाव धर्म की राह पर चलने के लिए अहम दया व परोपकार की सीख देता है। सीख है कि किसी भी रूप में छोटे या कमजोर की उपेक्षा नहीं बल्कि प्रेम के साथ सहायता और मदद के लिए तैयार रहें। इस तरह सांई द्वारा संवेदना भी सफलता का एक सूत्र बताया गया है।
दूसरों का सम्मान - गुरु शब्द का एक अर्थ बड़ा भी होता है। जगतगुरु सांई बाबा ने भी बड़ा बनने का ऐसा ही अहम सूत्र सिखाया। सांई ने अहं को छोड़ खासतौर पर ईश्वर, गुरु और उम्र में बड़े लोगों के साथ ही सभी के प्रति सम्मान और विश्वास का भाव रखने की सीख दी। जिसके द्वारा कोई इंसान स्वयं भी मान, प्रतिष्ठा, कृपा व सहायता पाकर ऊंचा पद व मनचाही सफलता पा सकता है।
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