श्री हनुमान चरित्र

श्री हनुमान के चरित्र में अपनत्व का विलक्षण भाव देखने को मिलता है। श्री हनुमान ने इसी गुण के बूते हर स्थिति, स्थान और संबंधों को अनुकूल बना लिया। श्री हनुमान ने अपनेपन के इस भाव से ही न केवल स्वयं प्रभु राम की कृपा और माता सीता से अचूक सिद्धियां व अनमोल निधियां पाई, बल्कि दूसरों पर भी कृपा बरसाई। इस तरह पवनपुत्र हनुमान के इस गुण से सीख यही मिलती है कि जीवन में मुसीबतों को पछाडऩा है तो हालात से मुंह मोडऩे या रिश्तों से अलगाव के बजाए अपनेपन यानी तालमेल, प्रेम व जुड़ाव के सूत्र को अपनाएं। क्योंकि अलगाव में क्षण भर का आवेग लंबी पीड़ा दे सकता है, किंतु जुड़ाव वक्त लेकर भी लंबा सुख और सफलता देने वाला होता है। मंगलवार के दिन ऐसे मंगलमूर्ति श्री हनुमान के ध्यान से जीवन मंगलमय बनाने के लिए बहुत ही शुभ घड़ी मानी गई है। इस दिन हनुमान का ध्यान ग्रह, मन, कर्म व विचारों के दोषों का शमन कर सुख-सफलता देने वाला माना गया है। जिसके लिए हनुमान के विशेष मंत्र स्तुति का ध्यान का महत्व हैं। जानते हैं यह मंत्र - - मंगलवार या शनिवार को स्नान के बाद श्री हनुमान को यथाशक्ति सिंदूर, गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य, नारियल अर्पित कर गुग्गल धूप व दीप जलाकर नीचे लिखे मंत्र द्वारा संकटमोचन की कामना से हनुमान वंदना करें - य: प्राणवायुजनितो गिरिशस्य शान्त: शिष्योपि गौतमगुरुर्मुनिशङ्करात्मा। हृद्यो हरस्य हरिवद्भरितां गतोपि धीधैर्यशास्त्रविभवे तुलमाश्रये तम्।। - हनुमान आरती करें और प्रसाद ग्रहण कर हनुमान के चरणों का सिंदूर मस्तक और घर के प्रवेश द्वार के ऊपरी हिस्से पर लगाएं। माना जाता है कि इससे घर-परिवार की विपदा और संकट से रक्षा होती है।

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