लक्ष्मी के ये 8 स्वरूप

ईश भक्ति सुख-समृद्धि, वैभव, धन और ऐश्वर्य देने वाली है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि मात्र ईश्वर भक्ति के लिए किए जाने वाले धार्मिक कर्मों से ही ऐसी सुख-संपन्नता प्राप्त हो जाती है? नहीं, बल्कि यह सब पाने के लिए व्यावहारिक जीवन में कर्म, विचार और स्वभाव में पावनता बहुत जरूरी है। शास्त्र भी कहते हैं कि देवी लक्ष्मी भी वहीं वास करती है, जहां पवित्रता और सत्य का पालन होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो देवी लक्ष्मी धन ही नहीं जीवन में गुण, आचरण, संस्कार लाकर समृद्ध बनाती है। यही कारण है कि देवी लक्ष्मी भी शक्ति स्वरूपा होकर ऐश्वर्य और गुण की देवी के रूप में पूजनीय है। शास्त्रों के मुताबिक स्वभाव और आचरण को पवित्र बनाने के साथ व्यावहारिक जीवन के अनेक सुखों को देने वाली महालक्ष्मी के 8 स्वरूप हैं, जो अष्टलक्ष्मी के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि में अष्टलक्ष्मी स्मरण या उपासना आयु, स्वास्थ्य, संतान, संपत्ति, धन, अन्न, सद्गुण, समृद्धि, सफलता देने वाली मानी गई है। जानें महालक्ष्मी के ये 8 स्वरूप- महालक्ष्मी चार भुजाधारी महालक्ष्मी का अलंकारों से सजा यह दिव्य रूप है। जिनके चार हाथों में कमल, पात्र, गदा और श्रीफल यानी नारियल होता है। इनकी उपासना धन-धान्य से समृद्ध करती है। गजलक्ष्मी यह लक्ष्मी का चार भुजाधारी स्वरूप है। नाम के मुताबिक ही यह गज यानी हाथी पर आठ कमल की पत्तियों के समान आकार वाले सिंहासन विराजित होती है। इनके दोनों ओर भी हाथी खड़े होते हैं। चार हाथों में कमल का फूल, अमृत कलश, बेल और शंख होते हैं। इनकी उपासना संपत्ति और संतान देने वाली मानी गई है। प्रसन्न लक्ष्मी महालक्ष्मी का यह स्वरूप सोने के समान तेजस्वी है। वह सोने के अलंकार और वस्त्रों में दिव्य दिखाई देती हैं। वह चार भुजाधारी है, जिनमें नीबू, सोने का कलश, सोने का कमल, बिजौरा होता है। इनकी उपासना जीवन के समस्त दु:खो का अंत कर घर-परिवार में हर खुशहाली लाती है। वीरलक्ष्मी माता इस स्वरूप में चार भुजाधारी कमल पर पद्मासन मुद्रा में विराजमान रहती हैं। दो हाथों में कमल व दो हाथ क्रमश: वरद और अभयमुद्रा में होते हैं। इनकी उपासना सौभाग्यवान बना देती है। द्विभुजा वीरलक्ष्मी यह लक्ष्मी का दो भुजाधारी स्वरूप है। जिनका एक हाथ अभय मुद्रा में और दूसरा बायां वरद मुद्रा में होता है। इनकी उपासना सौभाग्य के साथ स्वास्थ्य भी देने वाली होती है। अष्टभुजा वीरलक्ष्मी महालक्ष्मी का यह स्वरूप आठ भुजाधारी है। आठ भुजाओं में पाश, गदा, कमल वरद मुद्रा, अभय मुद्रा, अंकुश, अक्ष सूत्र और पात्र होते हैं। यह स्वरूप आयु, संपत्ति, ऐश्वर्य और सभी सुख देने वाला माना गया है। द्विभुजा लक्ष्मी - महालक्ष्मी का यह स्वरूप दो भुजाधारी है। वह दिव्य अलंकारों से सजी दोनों हाथों में कमल थामें होती है। इनकी उपासना अकूत धन, ऐश्वर्य व सद्गुण लाती है। श्रीदेवी चार भुजाधारी कमल पर विराजित महालक्ष्मी के इस स्वरूप के चार हाथों में पाश, अक्षमाला, कमल और अंकुश होते हैं। इनकी उपासना तन, मन और धन की दरिद्रता का अंत करती है।

Comments

Popular posts from this blog

Chaturvedis' of Mathura

आम की लकड़ी का स्वस्तिक

Lord Krishna's Children