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Ganesha - How to place Ganesha in your house or workplace

The god of joy, happiness and success, Ganesha has been blessing his devotees with prosperity and fortune since time immemorial. He has also always stood in front of us whenever we face any obstacles. This is the reason why Ganesha is worshipped before beginning any new thing in life. Devotees of Lord Ganesha usually place his idol at homes. However, most people are not aware the places where if Ganesha's idol is placed, brings happiness and success along with wealth. If you are one of those who do not know the right places in your house to place Ganesha's idol, go through the slide show to know where the Lord should be placed in your home based on Vastu tips. People seeking happiness, peace and prosperity should bring White Ganesha home. They should also paste a picture of white Ganesha at home Those who desire self-growth, should bring vermilion colour Ganpati at home and worship daily. The idol of sitting Ganesha is best for worshipping in your house. Sitting Ganesha br

Aasth chiranjivi

अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥ सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। इस श्लोक का अर्थ यह है कि इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।

Sons of Krishna

Krishna married 16, 108 wives as requested by them! Out of 16.108 wives of Krishna, every wife had 10 children who had the same nature of Krishna! Thus, Krishna had totally 1,61,080 Children. Let us see the list of the 80 children born through the first 8 wives! (1) The names of the children of Rukmani: Prathyumnan, Charudeshnan, Sudheshnan, Charudehan, Seecharu, Saaraguptha, Bathracharu, Charuchandharin, Visaru & Charu! (2) The names of the children of Sathyabama are: Banu, Subanu, Swarabanu, Prabanu, Banuman, Chandrabanu, Pragathbanu, Athibanu, Sribanu & Prathibanu! (3) The 10 sons through Krishna’s third wife Jambhavathi: Samban, Sumithra, Prujith, Sadhajith, Sagasrajith, Vijayan, Chitrakethu, Vasuman, Dravidan & Kirathu. Krishna had more attachment with the sons through Jambhavathi. (4) The 10 sons through Krishna’s Fourth wife Sathya, who was the daughter of the king of Nagnajith: Veera, Chandra, Ashvasena, Chitragu, Vegavan, Virusha, Aman, Sangu, Vasu, Kunti. Ku

चमत्कारिक मंदिर मेहंदीपुर बालाजी..!!!

कहावत है चमत्कार को नमस्कार। राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर बालाजी का चमत्कारिक मंदिर है। बाल रूप हनुमान का स्वरूप ही बालाजी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर जयपुर-आगरा मार्ग पर जयपुर से सौ किमी और आगरा से १३५ किमी और दिल्ली से वाया २७५ किमी की दूरी पर स्थित है। आगरा-जयपुर मार्ग पर बालाजी मोड़ एक स्थान है। हरेक बस यहां रुकती है। यहां से मंदिर तीन किमी दूर है और दर्शनार्थइयों को लाने-ले जाने के लिए यहां से टेंपो, जीप या रिक्शा आदि हर समय मिलते हैं। इस मंदिर में भारत के हर स्थान से दर्शनार्थी तीन में से किसी उद्देश्य को लेकर आते हैं। पहला मात्र दर्शन, दूसरा मनोकामना की पूर्ति के लिए अर्जी लगाना और तीसरा भूत-प्रेत से पीडि़तों के लिए मुक्ति के लिए। इस मंदिर में तीन देवताओं का वास है-बाल रूप में हनुमान जी, भैंरो बाबा और प्रेत राज सरकार। प्रत्येक दर्शनार्थी तीनों देवों के दर्शन कर कृतार्थ महसूस करता है। कामना पूर्ति के लिए यहां अर्जी लगायी जाती है। इसका नियम से पालन करने वाले की बालाजी तत्काल सुनते हैं। नियम इस तरह है-सबसे पहले हलवाई से दरख्वास्त लेते हैं। यह कागज पर कलम से लिखी दरख

कर्म बाई जी भगवान को बाल भाव से भजती थी

कर्म बाई जी भगवान को बाल भाव से भजती थी. बिहारी जी से रोज बाते किया करती थी. एक दिन बिहारी जी से बोली - तुम मेरी एक बात मानोगे. ------------------------------------------------------------------- भगवान ने कहा- कहो ! क्या बात है? कर्म बाई जी ने कहा- मेरी एक इच्छा है कि एक बार अपने हाथो से आपको कुछ बनाकर खिलाऊ. बिहारी जी ने कहा- ठीक है! अगले दिन कर्माबाई जी ने खिचड़ी बनायीं और बिहारी जी को भोग लगाया,जब बिहारी जी ने खिचड़ी खायी, तो उन्हे इतनी अच्छी लगी, कि वे रोज आने लगे. कर्मा बाई जी रोज सुबह उठकर सबसे पहले खिचड़ी बनाती बिहारी जी भी सुबह होते ही दौड़कर आते और दरवाजे से ही आवाज लगाते, माँ में आ गया जल्दी से खिचड़ी लाओ कर्मा बाई जी लाकर सामने रख देती भगवान भोग लगाते और चले जाते एक बार एक संत कर्माबाई जी के पास आये और उन्होंने सब देखा तो वे बोले आप सर्वप्रथम सुबह उठाकर खिचड़ी क्यों बनाती है, ना स्नान किया, ना रसोई घर साफ की, आप को ये सब करके फिर भगवान के लिये भोग बनाना चाहिये,अगले दिन कर्माबाई जी ने ऐसा ही किया. जैसे ही सुबह हुई भगवान आये और बोले माँ में आ गया, खिचड़ी लाओ. कर्मा बाई जी

Krishna and Shrila Prabhupada

Acharya Prabhakar said that on Shri Krishna Janmashtami in 1954, he had to go to Delhi. When he returned to Jhansi, he took a little rest, woke up at 1:00 am and heard Shrila Prabhupada ecstatically playing mridanga in the temple room. Prabhupada was chanting in total bliss. Acharya Prabhakar went upstairs and saw Shrila Prabhupada bouncing around the temple room performing kirtan. Prabhupada was wearing a kadamba flower garland that went all the way down to his feet. Kadamba flowers are very rare in Jhansi and when they are available they are usually the size of a golf ball.But the ones Prabhupada was wearing were big, the size of tennis balls. And he said that the atmosphere right down to the atoms in the room was not material, aprakrita. The place was surcharged with the fragrance of the heavenly planets. Acharya Prabhakar wanted to ask Shrila Prabhupada, “Where did this garland come from? It is not available from the market.” But Shrila Prabhupada would not answer. His Divine Grace

मृत्यु के 47 दिन बाद आत्मा पहुंचती है यमलोक, ये होता है रास्ते में --

मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद स्वर्ग-नरक की मान्यता है। पुराणों के अनुसार जो मनुष्य अच्छे कर्म करता है, वह स्वर्ग जाता है, जबकि जो मनुष्य जीवन भर बुरे कामों में लगा रहता है, उसे यमदूत नरक में ले जाते हैं। सबसे पहले जीवात्मा को यमलोक ले जाया जाता है। वहां यमराज उसके पापों के आधार पर उसे सजा देते हैं। मृत्यु के बाद जीवात्मा यमलोक तक किस प्रकार जाती है, इसका विस्तृत वर्णन गरुड़ पुराण में है। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य के प्राण निकलते हैं और किस तरह वह पिंडदान प्राप्त कर प्रेत का रूप लेता है। - गरुड़ पुराण के अनुसार जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोल नहीं पाता है। अंत समय में उसमें दिव्य दृष्टि उत्पन्न होती है और वह संपूर्ण संसार को एकरूप समझने लगता है। उसकी सभी इंद्रियां नष्ट हो जाती हैं। वह जड़ अवस्था में आ जाता है, यानी हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है। इसके बाद उसके मुंह से झाग निकलने लगता है और लार टपकने लगती है। पापी पुरुष के प्राण नीचे के मार्ग से निकलते हैं। - मृत्यु के समय दो यमदूत आते हैं। व