नवरात्रि-देवी की पंचोपचार पूजा
किसी भी तरह की कमी या कमजोरी गंभीर परेशानियों का कारण बन सकती है। इसलिए अभाव या कमजोरी के प्रति हमेशा सचेत रहकर ही दु:ख और चिंताओं से बचा जा सकता है। खासतौर पर शरीर की कमजोरी तो सफल व सुखी जीवन की चाहत में बाधा माना गया है।
यही कारण है कि निरोगी काया पहला सुख बताया गया है। व्यावहारिक रूप से तो बीमारी के बढऩे पर दवा आवश्यक और असरदार होती है। किंतु धर्म में आस्थावान लोग संकटमोचन के लिए भगवान को भी स्मरण करते हैं। देव शक्तियों के स्मरण से बेहतर सेहत के लिए नवरात्रि भी अहम घड़ी है।
इससे जुड़ा वैज्ञानिक पहलू भी है। दरअसल, हिन्दू धर्म में शक्ति पूजा का पर्व नवरात्रि, दो ऋतुओं का मिलत काल होता है। जिससे मौसम में बदलाव से अनेक रोगाणुओं की सक्रियता स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। शक्ति पूजा के जरिए इससे निपटने के लिये ही विशेष संयम और अनुशासन शरीर की ऊर्जा और शक्ति को बढ़ाने और वातावरण से तालमेल बनाने वाले सिद्ध होते है।
अगर आप भी धर्म परंपराओं से जुड़े इस वैज्ञानिक लाभ को पाना चाहते हैं, तो शास्त्रों में बताए एक आसान देवी मंत्र का स्मरण रोगी या उसके परिजनों द्वारा करना मौसमी बीमारियों ही नहीं बल्कि महामारी व संक्रामक रोगों से भी निजात दिलाने में अचूक माना गया है। धर्मभाव से यह मंत्र दवा और दुआओं को भी जल्द असरदार बनाने वाला माना गया है।
- रोगी मन ही मन या परिजन देवी की पंचोपचार पूजा गंध, फूल, अक्षत, नैवेद्य, धूप व दीप से पूजा व आरती कर इस सरल मंत्र का ध्यान करें -
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
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