श्री हनुमान की उपासना
जीवन की सार्थकता तभी संभव है जब व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में बेहतरीन तालमेल द्वारा जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया जाए। इससे मिलने वाले यश, सफलता रूपी सुखद नतीजेे अपनों के साथ परायों के लिये भी अनुकूल व प्रेरणादायी हो।
ऐसा ही संदेश देने वाला पर्व है - विजयादशमी। यह देवी की विजय का पर्व है। लौकिक परंपराओं में खासतौर पर यह श्रीराम की रावण पर विजय के लिये जाना जाता है। वहीं शास्त्रों में यह माता दुर्गा की शुंभ-निशुंभ आदि असुरों पर विजय की घड़ी माना गया है।
शक्ति पूजा के इस विशेष अवसर पर देवी, शक्तिधर श्रीराम के अलावा एक और शक्ति स्वरूप देवता श्री हनुमान उपासना भी बहुत ही मंगलकारी मानी गई है। शास्त्रों के मुताबिक श्री हनुमान रुद्र अवतार ही नहीं बल्कि आदिशक्ति और श्रीराम के सेवक भी बताए गए हैं।
यही कारण है श्री हनुमान की आराधना शक्ति, शिव व विष्णु अवतार श्री राम की प्रसन्नता व कृपा देकर जीवन के हर मोर्चे पर संकट और पीड़ा हर मनचाही सफलता देने वाली भी मानी गई है।
जानते हैं विजयादशमी के अवसर पर श्री हनुमान की उपासना की आसान विधि -
- हनुमान पूजा के लिये सूर्योदय से पहले जागकर तीर्थ में या गंगाजल मिलाकर स्नान करें। साथ ही इस दिन हनुमान पूजा का संकल्प और व्रत रखकर बिना नमक का भोजन करें।
- लाल या सिंदूरी वस्त्र पहन हनुमान पूजा के लिये शिव या देवी मंदिर चुनें। संभव न हो तो घर पर ही हनुमानजी की मूर्ति या चित्र की पूजा भी शुभ होगी।
- श्री हनुमान को सिंदूर व चांदी के वर्क का चोला चढाएं।
- सिंदूर, लाल चंदन, लाल अक्षत, लाल फूल, लाल वस्त्र, जनेऊ चढ़ाकर हनुमान पूजा करें।
- लाल फल या गुड़, चने, आटे से बने पकवान का भोग लगाएं।
- एक नारियल पर सिंदूर लगा, मौली या कलेवा लपेटकर श्री हनुमान के चरणों में भेंट करें।
- हनुमान मंत्र, हनुमान चालीसा, सुन्दरकाण्ड का पाठ भी यथासंभव करें। संभव न हो तो कम से कम नीचे लिखी हनुमान चालीसा की एक चौपाई का भक्तिभाव से स्मरण कर लें -
जै जै जै हनुमान गौसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई।
- दशहरे पर धूप, दस छोटी बत्तियों व गाय के घी के दीप व कर्पूर श्री हनुमान की आरती करें। प्रसाद बांटे। अंत में संकटहरण व सफल जीवन की कामना करे मन, कर्म, वचन के दोषों की क्षमा मांगे।
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