मंगलकारी रूप मां कालरात्रि

नवरात्रि में शक्ति आराधना तन-मन को संयम और अनुशासन द्वारा साधकर जीवन को आनंद और सुख से बिताने का संदेश देती है। नवरात्रि धर्म और ईश्वर से जुड़कर सफल जीवन और उसके लिए किए जाने वाले प्रयासों के लिए शक्ति संचय का अहम और शुभ काल है। चैत्र शुक्ल नवरात्रि की सातवीं रात सिद्धि की रात्रि मानी गई है। क्योंकि इस दिन आदिशक्ति दुर्गा के तामसी किंतु मंगलकारी रूप कालरात्रि की उपासना की जाती है। यह शक्ति और रात्रि सांसारिक कामनाओं के साथ तंत्र साधनाओं की सिद्धि की लिए भी अचूक मानी गई है। मां कालरात्रि का स्वरूप जितना भयानक है, उतना ही मंगलकारी और शुभ भी है। माता की उपासना जीवन से जुड़े हर भय, संशय और चिंता का नाश करने के साथ-साथ सभी सिद्धियां, सुख, साहस और कौशल देने वाली है। सरल शब्दों में मां कालरात्रि की भक्ति सफलता की राह में आने वाली मानसिक और व्यावहारिक बाधाओं को दूर कर देती है। मां कालरात्रि संकटमोचक शक्ति के रूप में पूजनीय है। अगर आप भी परेशानियों का सामना कर रहें है तो नवरात्रि के सातवें दिन (30 मार्च) को मां कालरात्रि के इस मंत्र का देवी पूजा के दौरान जरूर जप करें - - मां कालरात्रि की सुबह और रात्रि में विशेष पूजा मानसिक, शारीरिक और कर्म की पवित्रता का ध्यान रखते हुए करें। - पूजा में मां कालरात्रि को गंध, अक्षत, फूल के साथ विशेष रूप से बिल्वपत्र भी चढ़ाएं। साथ ही अन्य पूजा सामग्री जैसे लाल वस्त्र, सौभाग्य सामग्री भी अर्पित कर माता को मिठाई का भोग लगाएं। - पूजा के बाद मां कालरात्रि के इन मंत्रों का यथाशक्ति जप करें - या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। इस मंत्र का भी जप कर सकते हैं - कालरात्रिमर्हारात्रिर्मोहरात्रिश्र्च दारूणा, त्वं श्रीस्त्वमीश्र्वरी त्वं ह्रीस्त्वं बुद्धिर्बोधलक्षणा - अंत में क्षमाप्रार्थना करें और रक्षा की कामना करें।

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