भगवान का कक्ष

सुबह-सुबह घर के मंदिर में विराजित भगवान के दर्शन मात्र से हमारा दिन शुभ हो जाता है। साथ ही दिनभर सकारात्मक विचारों का प्रवाह बना रहता है। कार्यों में आ रही बाधाएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार मंदिर के आसपास का वातावरण बहुत ही संवेदनशील होता है। मंदिर में स्थित भगवान घर में होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना को प्रभावित करते हैं। इसी वजह से जाने-अनजाने हमारे द्वारा यदि कोई गलत कार्य हो जाता है तो हमें उसके बुरे प्रभाव झेलना पड़ते हैं। ऐसा माना जाता है भगवान हर पल जागृत अवस्था में ही रहते हैं लेकिन रात के समय उन्हें प्रतिकात्मक रूप से विश्राम कराया जाना चाहिए। इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं। जिस प्रकार दिनभर के कार्य के बाद हमें थकान होती है और रात में विश्राम करने के बाद अगले दिन फिर से तरोताजा हो जाते हैं। ठीक इसी प्रकार प्रतिकात्मक रूप से रात के समय भगवान को विश्राम कराया जाना चाहिए। इसके लिए रात के समय घर के मंदिर को पर्दे से ढंक देना चाहिए। वैसे तो घर में भगवान का कक्ष या मंदिर अलग ही होना चाहिए लेकिन कुछ घरों में पर्याप्त जगह न होने के कारण भगवान को कमरे में या कीचन में ही विराजित किया जाता है। ऐसे में रात के समय मंदिर को ढंक देने से भगवान भी विश्राम की अवस्था में आ जाते हैं। ऐसा माना जाता है। इस संबंध में ध्यान रखने वाली बात यह है कि पति-पत्नी के कमरे में भगवान को विराजित नहीं करना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है। बेडरूम में श्रीकृष्ण और राधा का चित्र अवश्य लगाया जा सकता है।

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