हनुमान की भक्ति के गुण
तुलसीदास द्वारा लिखी श्री हनुमान चालीसा की हर चौपाई संकटमोचक श्री हनुमान की शक्ति और भक्ति के करिश्माई परिणामों की महिमा बताती है। धर्मग्रंथों में बताए श्री हनुमान के ऐसे दिव्य चरित्र, गुण और अतुलनीय शक्तियां ही युग-युगान्तर से धर्मावलंबियों के मन में श्री हनुमान भक्ति के लिए श्रद्धा, भक्ति और विश्वास जगाती है। यह भरोसा ही सारे शोक, संताप व रोग दूर करने में भी निर्णायक होता है।
दरअसल, हनुमान चरित्र भक्ति और शक्ति का बेजोड़ संगम माना गया है। इसलिए जानिए, कैसे हनुमान की भक्ति और शक्ति का प्रभाव सांसारिक व्यक्ति को स्वस्थ्य और पीड़ामुक्त जीवन देने वाला होता है? इसका जवाब भी श्री हनुमान चरित्र और गुणों में मिल जाता है। जानिए, यह रहस्य -
शास्त्रों के मुताबिक श्री हनुमान जितेन्द्रिय और प्रजापत्य ब्रह्मचारी है। श्री हनुमान का यह बेजोड़ गुण ही सांसारिक प्राणी के लिए हमेशा रोग और दु:ख से मुक्त रहने का श्रेष्ठ सूत्र माना गया है। इस दिव्य गुण के कारण ही श्री हनुमान भक्ति और उपासना के नियमों में पवित्रता, मर्यादा और संयम का पालन अहम माना गया है।
श्री हनुमान के इन गुणों और भक्ति के नियम किसी भी इंसान को इंद्रिय संयम के संकल्प से जोड़ते हैं। इंद्रिय संयम द्वारा इंसान बुरे संग, गलत खान-पान, कुविचार, बुरे व्यवहार के साथ बुरा बोलने, सुनने और देखने से दूर रहता है।
वहीं दूसरी ओर मात्र शरीर द्वारा ही नहीं बल्कि मन और विचारों के द्वारा ब्रह्मचर्य व्रत सरल शब्दों में संयम के पालन से सद्भभाव, सद्गुणों व अच्छी प्रवृत्तियों के जीवन में उतरने से जीवनशैली व दिनचर्या अनुशासित होती है। निरोग रहने के लिए यही बातें महत्वपूर्ण होती है। जब इंसान तन और मन से स्वस्थ व दोष रहित होता है तो जाहिर है वह शारीरिक, मानसिक व व्यावहारिक जीवन के कष्टों से मुक्त रहता है।
यही कारण है निरोगी, सुखी और शांत जीवन के लिए हनुमान का स्मरण रख संयम और अनुशासन को जीवन में अपनाना बहुत ही शुभ है।
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