नवरात्रि: देवी के विभिन्न रूपों की पूजा

चैत्र नवरात्रि में हर दिन देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में विविध प्रकार की पूजा से माता को प्रसन्न किया जाता है। नवरात्रि में देवी को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार प्रतिपदा से लेकर नौ तिथियों में देवी को विशिष्ट भोग अर्पित करने तथा ये ही भोग गरीबों को दान करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। उसके अनुसार- - प्रतिपदा (23 मार्च, शुक्रवार) को माता को घी का भोग लगाएं तथा उसका दान करें। इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा वह निरोगी होता है। - द्वितीया (24 मार्च, शनिवार) को माता को शक्कर काभोग लगाएं तथा उसका दान करें। इससे साधक को दीर्घायु प्राप्त होती है। - तृतीया (25 मार्च, रविवार) को माता को दूध चढ़ाएं तथा इसका दान करें। ऐसा करने से सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है। - चतुर्थी(26 मार्च, सोमवार) को मालपूआ चढ़ाकर दान करें। इससे सभी प्रकार की समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाती है। - पंचमी (27 व 28 मार्च, मंगलवार व बुधवार) को माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं तथा इसका दान करें। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है। - षष्ठी (29 मार्च, गुरुवार) को माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं तथा शहद का दान भी करें। इससे साधक का व्यक्तित्व विकास होता है। - सप्तमी (30 मार्च, शुक्रवार) को माता को गुड़ की वस्तुओं का भोग लगाएं तथा दान भी करें। इससे दरिद्रता का नाश होता है। - अष्टमी (31 मार्च, शनिवार) को नारियल का भोग लगाएं तथा नारियल का दान भी करें। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्त होती है। - नवमी (1 अप्रैल, रविवार) को माता को विभिन्न प्रकार के अन्नों का भोग लगाएं व यथाशक्ति गरीबों में दान करें। इससे लोक-परलोक में आनंद व वैभव मिलता है।

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