हनुमान राम भक्ति को समर्पित

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा हनुमान भक्ति को समर्पित हनुमान चालीसा की ये चौपाई रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनिपुत्र पवनसुत नामा श्री हनुमान के राम भक्त होना व भक्त-भगवान के पावन रिश्तों को उजागर ही नहीं करती, बल्कि राम कृपा से ही बेजोड़ गुण व बल का स्वामी होना भी प्रकट करती है। राम की भक्ति और सेवा से ही श्री हनुमान रामदूत कहलाए। धार्मिक आस्था भी है कि जहां श्री राम का नाम व स्मरण होता है, वहीं उनके परम भक्त श्री हनुमान किसी न किसी रूप में उपस्थित रहते हैं। हनुमान के कारण ही युग-युगान्तर से राम भक्ति आस्था को बल और भक्ति को शक्ति देने वाली मानी जाती है। रुद्र अवतार श्री हनुमान की कृपा ग्रहदोषों को दूर करने में भी शुभ व अचूक उपाय मानी गई है। यही कारण है कि खासतौर पर शनिवार, मंगलवार के अलावा श्री राम के जन्मदिन यानी रामनवमी पर श्री राम की प्रतिमा या तस्वीर की गंध, अक्षत, फूल, धूप व दीप से पूजा कर यहां बताई जा रही राम मंत्र स्तुति का ध्यान करें और श्री हनुमान की भी विधिवत पूजा करें। यह श्रीराम मंत्र स्तुति है - आपदामपहर्तार दातारं सर्वसम्पदाम। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।। रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय मानसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम्।। नीलाम्बुजश्यामल कोमलांङ्गं सीतासमारोपित वामभागम्। पाणौ महासाकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।। आस्था है कि इस मंत्र स्तुति से राम का नाम किसी भी संकट में लेने पर रामभक्त श्री हनुमान संकटमोचक बन सुख-सौभाग्य देते हैं।

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